साकेत: भरत का पादुका मांगना – मैथिली शरण गुप्त

“हे राघवेंद्र यह दास सदा अनुयायी‚
है बड़ी दण्ड से दया अन्त में न्यायी!
हे देव भार के लिये नहीं रोता हूं‚
इन चरणों पर ही मैं अधीर होता हूं।

प्रिय रहा तुम्हें यह दयाघृष्टलक्षण तो‚
कर लेंगी प्रभु–पादुका राज्य–रक्षण तो।
तो जैसी आज्ञा आर्य सुखी हों बन में‚
जूझेगा दुख से दास उदास भवन में।

बस‚ मिले पादुका मुझे‚ उन्हें ले जाऊं‚
बच उसके बल पर‚ अवधि–पार मैं पाऊं‚
हो जाय अवधि–मय अवध अयोध्या अब से‚
मुख खोल नाथ कुछ बोल सकूं मैं सब से।”

“रे भाई तूने ला दिया मुझको भी‚
शंका थी तुझसे यही अपूर्व अलोभी!
था यही अभीप्सित तुझे अरे अनुरागी‚
तेरी आर्या के वचन सिद्ध ने त्यागी!”

तब सबने जय जयकार किया मनमाना‚
वंचित होना भी श्लाघ्य भरत का जाना।
पाया अपूर्व विश्राम सांस सी लेकर‚
गिरि ने सेवा की शुद्ध अनिल जल देकर।

मूंदे अनंत ने नयन धार वह झांकी‚
शशि खिसक गया निश्चिंत हंसी हंस बांकी।
द्विज चहक उठे‚ हो गया नया उजियाला‚
हाटक–पट पहने दीख पड़ी गिरिमाला।

सिंदूर–चढ़ा आदर्श–दिनेश उदित था‚
जन जन अपने को आप निहार मुदित था।
सुख लूट रहे थे अतिथि विचरकर गाकर–
‘हम धन्य हुए इस पुण्यभूमि पर आकर।’

∼ मैथिली शरण गुप्त (राष्ट्र कवि)

About Maithili Sharan Gupt

राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया और इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। मैथिलीशरण गुप्त जी की बहुत-सी रचनाएँ रामायण और महाभारत पर आधारित हैं। १९५४ में पद्म भूषण सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित। प्रमुख कृतियाँ — • महाकाव्य – साकेत; • खंड काव्य – जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, यशोधरा, द्वापर, सिद्धराज, नहुष, अंजलि और अर्ध्य, अजित, अर्जन और विसर्जन, काबा और कर्बला, किसान, कुणाल गीत, गुरु तेग बहादुर, गुरुकुल, जय भारत, झंकार, पृथ्वीपुत्र, मेघनाद वध, मैथिलीशरण गुप्त के नाटक, रंग में भंग, राजा-प्रजा, वन वैभव, विकट भट, विरहिणी व्रजांगना, वैतालिक, शक्ति, सैरन्ध्री, स्वदेश संगीत, हिडिम्बा, हिन्दू; • अनूदित – मेघनाथ वध, वीरांगना, स्वप्न वासवदत्ता, रत्नावली, रूबाइयात उमर खय्याम।

Check Also

Gujarat Day: Foundation Day History, Facts, Quotes

Gujarat Day (01 May): Gujarat Foundation Day History, Facts

Gujarat Day: It is observed on May 1. It is the foundation day for the …