सखि वे मुझसे कहकर जाते – मैथिली शरण गुप्त

सखि, वे मुझसे कहकर जाते,
कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ-बाधा ही पाते?

मुझको बहुत उन्होंने माना
फिर भी क्या पूरा पहचाना?
मैंने मुख्य उसी को जाना
जो वे मन में लाते।

सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

स्वयं सुसज्जित करके क्षण में,
प्रियतम को, प्राणों के पण में,
हमीं भेज देती हैं रण में–
क्षात्र–धर्म के नाते।

सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

हु‌आ न यह भी भाग्य अभागा,
किसपर विफल गर्व अब जागा?
जिसने अपनाया था, त्यागा;
रहे स्मरण ही आते!

सखि, वे मुझसे कहकर जाते।
नयन उन्हें हैं निष्ठुर कहते,
पर इनसे जो आँसू बहते,
सदय हृदय वे कैसे सहते?
गये तरस ही खाते!

सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

जायें, सिद्धि पावें वे सुख से,
दुखी न हों इस जन के दुख से,
उपालम्भ दूँ मैं किस मुख से?
आज अधिक वे भाते!

सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

गये, लौट भी वे आवेंगे,
कुछ अपूर्व–अनुपम लावेंगे,
रोते प्राण उन्हें पावेंगे,
पर क्या गाते–गाते?

सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

∼ मैथिली शरण गुप्त (राष्ट्र कवि)

About Maithili Sharan Gupt

राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया और इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। मैथिलीशरण गुप्त जी की बहुत-सी रचनाएँ रामायण और महाभारत पर आधारित हैं। १९५४ में पद्म भूषण सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित। प्रमुख कृतियाँ — • महाकाव्य – साकेत; • खंड काव्य – जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, यशोधरा, द्वापर, सिद्धराज, नहुष, अंजलि और अर्ध्य, अजित, अर्जन और विसर्जन, काबा और कर्बला, किसान, कुणाल गीत, गुरु तेग बहादुर, गुरुकुल, जय भारत, झंकार, पृथ्वीपुत्र, मेघनाद वध, मैथिलीशरण गुप्त के नाटक, रंग में भंग, राजा-प्रजा, वन वैभव, विकट भट, विरहिणी व्रजांगना, वैतालिक, शक्ति, सैरन्ध्री, स्वदेश संगीत, हिडिम्बा, हिन्दू; • अनूदित – मेघनाथ वध, वीरांगना, स्वप्न वासवदत्ता, रत्नावली, रूबाइयात उमर खय्याम।

Check Also

Varuthini Ekadashi

Varuthini Ekadashi: Baruthani Ekadashi Information For Hindus

Varuthini Ekadashi also known as Baruthani Ekadashi usually falls on Ekadashi during the month of …