क्यों नहीं देखते – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

Kyon Nahin Dekhteजब रास्ता तुम भटक जाते हो
क्यों नहीं देखते
इन तारों की तरफ
ये तो विद्यमान हैं हर जगह
इन्हे तो पता हैं सारे मार्ग
जब आक्रोश उत्त्पन्न होता है
तुम्हारे हृदय में
वेदना कसकती है और
क्रोध किसी को जला डालना चाहता है
क्यों नहीं देखते
सूरज की तरफ
ये भी नाराज़ है बरसों से
पता नहीं किस पर गुस्सा निकालना चाहता है
रोज आता है और आग
बरसा के चला जाता है
क्रोध की तपिश जब
ह्रदय जलाने लगती है
और अधजले सपने, धुंआ देने लगते हैं
तब तुम
क्यों नहीं देखते
इस चाँद की तरफ
ये शांत बैठा न जाने
क्या सपना बुनता रहता है
जब जिंदगी रंगहीन लगने लगती है
व्यर्थ लगने लगते हैं
जिंदगी के मायने
क्यों नहीं देखते
बादलों में इन्द्रधनुष की तरफ
इसके सात रंग सात सपने हैं
जो बुने हैं इसने अभी कुछ देर पहले
बारिश में भीगते हुए
कहीं छिपकर किसी टाट की आड़ में
भुट्टा खाते हुए
तुम्हे क्यों लगता है
तुम कुछ अनोखे हो
जैसे लाया मैं तुम्हे इस दुनिया में
वैसे ही बनाया है इन्हें भी
इन्हें भी दिए मैंने सपने
कुछ टूटे इनके भी अरमान
नादान हो जो तुम हिम्मत हारते हो
यह प्रकृति बहुत कुछ सीखा सकती है
सपनों का बनना और टूटना
एक सतत प्रक्रिया है
नद्य-नीर सा प्रवाह है इसमें
कहीं कोई रुकाव नहीं, कहीं कोई ठहराव नहीं……

∼ गगन गुप्ता ‘स्नेह’

Check Also

Danavulapadu Jain Temple, Kadapa District, Andhra Pradesh, India

Danavulapadu Jain Temple, Kadapa District, Andhra Pradesh, India

Danavulapadu Jain Temple is an ancient Jain center located in Danavulapadu village, within the Jammalamadugu …