Ramvachan Singh Hasya Baal-Kavita पास हुए हम

Ramvachan Singh Hasya Baal-Kavita पास हुए हम

पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे!
दूर हुए गम, हुर्रे हुर्रे!

रोज नियम से किया परीश्रम
और खपाया भेजा,
धीरे–धीरे, थोड़ा–थोड़ा
हर दिन ज्ञान सहेजा,
रुके नहीं हम, हुर्रे हुर्रे!

हम कछुआ ही सही, चल रहे
लगातार पर धीमें,
हम खरगोश नहीं की दौड़ें,
सोयें रस्ते ही में।
रुका नहीं क्रम, हुर्रे हुर्रे!

बात नकल की कोई हमने
कभी न मन में लाई,
सिर्फ पढ़ाई के बल पर ही
आह सफलता पाई,
जीत गया श्रम, हुर्रे हुर्रे!
पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे!

~ रामवचन सिंह

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