छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह

छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह

छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह: सरसा नदी पर जब श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी से छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह तथा बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी जी बिछुड़ गए तो उनको गुरु घर का रसोइया गंगू अपने गांव सहेड़ी ले आया।

वहां से उसने मुखबरी करते हुए साहिबजादों और माता गुजरी जी को गिरफ्तार करवा दिया। उन्हें पहले मोरिंडा और अगले दिन सूबा सरहिन्द के पास भेजा गया। वहां वजीद खान ने माता गुजरी और छोटे साहिबजादों को सरहिन्द के ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया। वजीद खान ने साहिबजादों को कई तरह के लालच दिए गए और डराया भी परन्तु वे अपने धर्म पर कायम रहे।

दुनिया के महान शहीद ‘छोटे साहिबजादे’

दीवान सुच्चा नंद ने वजीद खान के बहुत कान भरे। उसने कहा कि सांप के बच्चे सपोले होते हैं इसलिए इन्हें जल्दी से जल्दी मार दिया जाए।

मालेरकोटला के नवाब शेर खान को भी कहा गया कि उसके भाई को चमकौर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह ने मार दिया है इसलिए वह उसका बदला साहिबजादों से ले सकता है। नवाब ने कहा कि यदि उसने बदला लेना है तो वह इन छोटे बच्चों से नहीं, बल्कि इनके पिता जी से लेगा।

एक कर्मचारी मोती राम मेहरा बहुत रहम दिल मनुष्य था। उसने अपनी कीमती वस्तुएं बेच दीं और किलेदार तथा सिपाहियों को रिश्वत देकर रात के समय साहिबजादों और माता गुजरी जी को दूध छकाया। वजीद खान को इस बारे पता लगा तो उसने मेहरा जी को परिवार समेत कोहलू के द्वारा पीड़ दिया। आखिर साहिबजादों को दीवार में चिनवा दिया गया जिससे वे बेहोश हो गए।

बाद में उनको दीवार में से बाहर निकाल कर शहीद कर दिया गया। जब यह घटना घटी तो जोरदार तूफान आया और चारों ओर अंधेरा छा गया। जब माता गुजरी जी को साहिबजादों की शहादत की सूचना मिली तो वह भी अकाल ज्योति में लीन हो गए।

दीवान टोडरमल जैन ने अपनी सारी जायदाद बेच कर 78 हजार सोने की मोहरों के साथ संस्कार के लिए जगह खरीदी। आज वहीं गुरद्वारा ज्योति सरूप साहिब* स्थित है। जिस जगह साहिबजादों को दीवार में चिना गया वहां गुरद्वारा फतेहगढ़ साहिब* और जहां इन्हें कैद में रखा गया था वहां गुरद्वारा ठंडा बुर्ज स्थित है।

बाद में बाबा बंदा सिंह बहादुर ने सरहिन्द पर हमला करके इसकी ईंट से ईंट बजा दी और साहिबजादों की शहादत का बदला लिया। साहिबजादों की याद में हर साल 11, 12 और 13 पौष को शहादत जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

फतेहगढ़ साहिब (Fatehgarh Sahib)

  • भारत के पंजाब राज्य के फतेहगढ़ साहिब ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। इस स्थान का सिख धर्म में बहुत महत्व है। यहाँ औरंगज़ेब के सरहिंद के फौजदार वजीर खान ने गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों – फतेह सिंह और ज़ोरावर सिंह को दीवार में ज़िन्दा चुनवा दिया था।

गुरुद्वारा ज्योति सरूप (Gurudwara Shri Jyoti Saroop Sahib)

  • सरहिंद – चंडीगढ़ रोड पर स्थित है और फतेहगढ़ साहिब से लगभग एक किमी दूर है। इसे गुरु गोबिंद सिंह जी की माता गुजरी देवी और उनके दोनों पुत्रों साहिबज़ादा फतेहसिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह के अंतिम संस्कार की स्मृति में बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि सरहिंद के फौजदार वज़ीर खान के डर की वजह से इन शहीदों के अंतिम संस्कार के लिए कोई भी अपनी जमीन देने को तैयार नहीं था। इसके बाद टोडरमल ने, जो कि गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रबल अनुयायी थे, उनके अंतिम संस्कार के लिए एक किसान से ज़मीन खरीदी। सफ़ेद संरचनाएं एवं गुंबद इस गुरुद्वारे के प्रमुख आकर्षण हैं।

~’छोटे साहिबजादे‘ by ‘गुरप्रीत सिंह नियामियां

Check Also

Early Life of Guru Gobind Singh

Early Life of Guru Gobind Singh: Tenth Guru of the Sikhs

Early Life of Guru Gobind Singh: Guru Gobind Singh was born in December 1666 A.D. …