Poems In Hindi

बच्चों की हिन्दी कविताएं — 4to40 का हिन्दी कविताओ का संग्रह | Hindi Poems for Kids — A collection of Hindi poems for children. पढ़िए कुछ मजेदार, चुलबुली, नन्ही और बड़ी हिंदी कविताएँ. इस संग्रह में आप को बच्चो और बड़ो के लिए ढेर सारी कविताएँ मिलेंगी.

जी नही चाहता कि, नेट बंद करू

जी नही चाहता कि, नेट बंद करू

जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! अच्छी चलती दूकान का, गेट बंद करू! हर पल छोटे – बड़े, प्यारे-प्यारे मैसेज, आते है! कोई हंसाते है, कोई रूलाते है! रोजाना हजारों, मैसेज की भीड़ में, कभी-कभी अच्छे, मैसेज भी छूट जाते है! मन नही मानता कि , दोस्तो पर कमेंट बंद करू! जी नही चाहता कि, नेट बंद करू! प्रात: …

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कौन यहाँ आया था – दुष्यंत कुमार

कौन यहाँ आया था - दुष्यंत कुमार

कौन यहाँ आया था कौन दिया बाल गया सूनी घर-देहरी में ज्योति-सी उजाल गया। पूजा की बेदी पर गंगाजल भरा कलश रक्खा था, पर झुक कर कोई कौतुहलवश बच्चों की तरह हाथ डाल कर खंगाल गया। आँखों में तिरा आया सारा आकाश सहज नए रंग रँगा थका- हारा आकाश सहज पूरा अस्तित्व एक गेंद-सा उछाल गया। अधरों में राग, आग …

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भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर

भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर

बरसों के बाद कभी हम तुम यदि मिलें कहीं देखें कुछ परिचित से लेकिन पहचाने ना याद भी न आये नाम रंग, रूप, नाम, धाम सोचें यह संभव है पर, मन से माने ना हो न याद, एक बार आया तूफान, ज्वार बन्द मिटे पृष्ठों को पढ़ने की ठानें ना बातें जो साथ हुईं बातें जो साथ गईं आँखें जो …

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मानसून – ओम प्रकाश बजाज

मानसून - ओम प्रकाश बजाज

मानसून की वर्षा आई, लू-लपट से मिली रिहाई! बच्चे-बूढ़े पुरुष महिलाएं, हर चेहरे पर रौनक आई! प्रतीक्षा करती हर आँख में, इसके आने की ख़ुशी समाई! कभी रिमझिम, कभी झमाझम, वर्षा का क्रम बना हुआ है! आसमान से पानी के रूप में, जैसे अमृत बरस रहा है! धरती और धरती वालों की, प्यास बुझाने में जुटा हुआ है!

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साथ – साथ – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

साथ - साथ - सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

तुम सामने होती हो तो शब्द रुक जाते हैं तुम औझल होती हो तो वही शब्द प्रवाह बन जाते हैं तुम बोलती हो तो प्रश्न उठते हैं कि क्या बोलूं तुम बोलते हुए रूक जाती हो तो अनसुलझे सवाल मेरी उलझन में समा जाते हैं तुम चहकती हो तो पूनमी रात का चाँद धवल चांदनी सा फ़ैल जाता है तुम …

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बाल गोपाल – राम प्रसाद शर्मा

Baal Gopal

खेलें आँगन बाल गोपाल, नाचें-कूदें गलबहियां डाल। तरह-तरह के साज बजाएं, देशप्रेम के गीत गाएं। झगड़ा-टंटा करे न भाई, मन में इनके हो सच्चाई। खेल-खेल में धूम मचाएं, एक स्वर से गाना गाएं। आँखों के बन जाएँ तारें, तब तो होंगे पो वारे। कहे ‘प्रसाद’ देखो खेल, कैसे बढ़ता इनका मेल। ∼ राम प्रसाद शर्मा

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ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय – योगेश

ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय - योगेश

ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय कभी तो हँसाए, कभी ये रुलाये कभी देखो मन नहीं जागे, पीछे-पीछे सपनों के भागे एक दिन सपनों का राही, चला जाये सपनो के आगे कहाँ ज़िन्दगी कैसी है पहेली… जिन्होंने सजाये यहाँ मेले, सुख-दुःख संग-संग झेले वही चुनकर खामोशी, यूँ चले जाएँ अकेले कहाँ ज़िन्दगी कैसी है पहेली… ∼ योगेश चित्रपट : आनंद (1971) निर्माता …

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अच्छे बच्चे – विजय अरोड़ा

अच्छे बच्चे - विजय अरोड़ा

कहना हमेशा बड़ो का मानते माता-पिता को शीश नवाते अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते ! नहा-धोकर रोज शाला जाते पढाई से जी न चुराते परीक्षा में सदा अव्वल आते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते ! कभी न किसी से झगड़ा करते बात हमेशा सच्ची कहते उंच-नीच का भाव न लाते वे ही बच्चे सच्चे कहलाते …

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कुछ रफ़्तार धीमी करो – मेरे दोस्त

कुछ रफ़्तार धीमी करो - मेरे दोस्त

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी.. मुझे याद है, मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले सब कुछ अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है… शायद अब दुनिया सिमट रही है… जब मैं छोटा था, …

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भारतीय सभ्यता का फ़िल्मी इंटरवल

Filmi Interval

बॉलीवुड के बादल छाये, बदलावों की बारिश है, ये है सिर्फ सिनेमा या फिर सोची समझी साजिश है! याद करो आशा पारिख के सर पे पल्लू रहता था, हीरो मर्यादा में रहकर प्यार मोहब्बत करता था! प्रणय दृश्य दो फूलों के टकराने में हो जाता था, नीरज, साहिर के गीतों पर पावन प्रेम लजाता था! लेकिन अब तो बेशर्मी के …

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