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Arjun Vishaad Yog-Bhagavad Gita Chapter 1

Arjun Vishaad Yog-Bhagavad Gita Chapter 1

Arjun Vishaad Yog-Bhagavad Gita Chapter 1 [Observing the Armies on the Battlefield of Kurukshetra] Dhrtarastra Said > Shaloka: 1 English O Sanjay, after assembling in the place of pilgrimage at Kuruksetra, what did my sons and sons of Pandu do, being desirous to fight? Purport Bhagavad-gita is the widely read theistic science summarized in the Gita-mahatmya (Glorification of the Gita …

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संतरा बढ़ाये रोग ­प्रितरोधक क्षमता-Benefits Of Orange Fruit

संतरा बढ़ाये रोग ­प्रितरोधक क्षमता-Benefits Of Orange Fruit

संतरा बढ़ाये रोग ­प्रितरोधक क्षमता-Benefits Of Orange Fruit गर्मी हो या सर्दी, संतरा हद मौसम में उपलब्द होता है| इसमें विटामिन ‘सी’ तो प्रचुर मात्रा में पाया ही जाता है वितमिव ‘ऐ’, ‘बी’, ‘आयरन’ और कैल्शियम भी पाया जाता है| संतरा रक्तकोशिकाओं को लाल रंग प्रदान करने क साथ ­ साथ खून को शुद्ध करने में भी सहायक है| प्रतिदिन …

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जीवन तो कभी भी नष्ट हो जाएगा-Life May End Any Moment

जीवन तो कभी भी नष्ट हो जाएगा-Life May End Any Moment

जीवन तो कभी भी नष्ट हो जाएगा-Life May End Any Moment संत और सज्जन पुरुष जब ज्ञान को धारण करते है तो उनके मन में सम्मान का मोह और मद नष्ट हो जाता है पर वही ज्ञान दुष्टो को अहंकारी बना देता है| जिस प्रकार एकांत स्थान योिगयों को साधना के लिए प्रेिरत करता है वैसे कामी पुरुषों की काम …

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गिरिधर की कुंडलियाँ – गिरिधर कविराय

लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग गहरी नदी, नारा जहाँ, तहाँ बचावै अंग तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता को मारै दुशमन दावागीर, होय तिनहूँ को झारै कह गिरिधर कविराय, सुनो हो धूर के बाठी सब हथियारन छाँड़ि, हाथ में लीजै लाठी दौलत पाय न कीजिये, सपने में अभिमान चंचल जल दिन चारि को, ठाँउ न रहत निदान ठाँउ …

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गीत का पहला चरण हूं – इंदिरा गौड़

गुनगुनाओ तो सही तुम तनिक मुझको मैं तुम्हारे गीत का पहला चरण हूं। जब तलक अनुभूत सच की शब्द यात्रा है अधूरी झेलनी है प्राण को गंतव्य से तब तलक दूरी समझ पाया आज तक कोई न जिसको उस अजानी सी व्यथा का व्याकरण हूं। अधिकतर संबंध ऐसे राह में जो छोड़ देते प्राण तक गहरे न उतरें सतह पर …

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अब घर लौट आओ – महेश्वर तिवारी

चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव, अब घर लौट आओ। थरथराती गंध पहले बौर की कहने लगी है, याद माँ के हाथ पहले कौर की कहने लगी है, थक चुके होंगे सफ़र में पाँव अब घर लौट आओ। कह रही है जामुनी मुस्कान फूली है निबोरी कई वर्षों बाद खोली है हरेपन ने तिजोरी फिर अमोले माँगते हैं दाँव अब घर …

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घर की बात – प्रेम तिवारी

जाग–जागे सपने भागे आँचल पर बरसात मैं होती हूँ, तुम होते हो सारी सारी रात। नीम–हकीम मर गया कब का घर आँगन बीमार बाबू जी तो दस पैसा भी समझे हैं दीनार ऊब गयी हूँ कह दूंगी मैं ऐसी–वैसी बात। दादी ठहरीं भीत पुरानी दिन दो दिन मेहमान गुल्ली–डंडा खेल रहे हैं बच्चे हैं नादान टूटी छाजन झेल न पाएगी …

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गीली शाम – चन्द्रदेव सिंह

तुम तो गये केवल शब्दों के नाम पलकों की अरगनी पर टांग गये शाम। एक गीली शाम। हिलते हवाओं में तिथियों के लेखापत्र एक–एक कर सारे फट गये केवल पीलपन – पीलापन मुंडेरों पर‚ फसलें पर‚ पेड़ों पर सूरज के और रंग किरनों से छंट गये। बूढ़ी ऋतुओं को हो चला है जुकाम। तुम तो दे गये केवल शब्दों के …

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अनार तेरे गुण अनेक-Benefits of Pomegranate

अनार तेरे गुण अनेक-Benefits of Pomegranate

अनार तेरे गुण अनेक-Benefits of Pomegranate विश्व भर में काबुल तथा कंधार के लाल अनार सबसे उत्तम होते हैं। इस फल का सब कुछ उपयोग में आता है। पूरा फल, बीज, फूल, छाल सब में औषधीय गुण हैं: यदि पेट में चपटे कृमि हो जाएं तो इस पेड़ की जड़ का चूर्ण खाना चाहिए। कृमि मर कर शौच से बाहर …

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पीर मेरी – वीरेंद्र मिश्र

पीर मेरी कर रही ग़मग़ीन मुझको और उससे भी अधिक तेरे नयन का नीर, रानी और उससे भी अधिक हर पांव की जंजीर, रानी। एक ठंडी सांस की डोरी मुझे बांधे बंधनों का भार तेरा प्यार है साधे भार अपना कुछ नहीं, देखें अगर उनको जा रहे जो मौन पर्वत पीठ पर लादे भूल मेरी कर रही ग़मग़ीन मुझको और …

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