Tag Archives: Human Behaviour Hindi Poems

माँ का रूप: माँ पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए हिंदी कविता

माँ का रूप - शाहीन अवस्थी Mother's Day Special Hindi Poem

हर एक के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान के रुप में होती है जिसके बारे शब्दों से बयाँ नहीं किया जा सकता है।ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया हालाँकि माँ के साथ कुछ महत्वपूर्ण क्षणोँ को वर्णित किया जा सकता है। एक माँ हमारे जीवन की हर …

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माँ भूखी रहती है: माँ पर हिंदी कविता

माँ भूखी रहती है Mother's Day Special Hindi Poem

इस दुनिया में किसी भी चीज को माँ के सच्चे प्यार और परवरिश से नहीं तौला जा सकता। वो हमारे जीवन की एकमात्र ऐसी महिला है जो बिनी किसी मंशा के अपने बच्चे को ढ़ेरा सारा प्यारा परवरिश देती है। एक माँ के लिये बच्चा ही सबकुछ होता है। जब हम मजबूर होते है तो वो हमेशा जीवन में किसी …

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माँ: श्रेया गौर – बाल भेदभाव पर हिंदी बाल-कविता

माँ - श्रेया गौर Request from a girl child to her mother

माँ! मैं कुछ कहना चाहती हूँ, माँ! मैं जीना चाहती हूँ। तेरे आँगन की बगिया में चाहती हूँ मैं पलना, पायल की छमछम करती, चाहती मैं भी चलना। तेरी आँखों का तारा बन चाहती झिलमिल करना, तेरी सखी सहेली बन चाहती बातें करना। तेरे आँगन की तुलसी बन, तुलसी सी चाहती मैं हूँ बढ़ना, मान तेरे घर का बन माँ! …

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स्कूल मैगज़ीन से ली गयी बाल-कविताएँ

अलगाव में लगाव: सुजाता भट्टाचार्या एक थे बापू, एक थे नेताजी ‘सुभाष’ विचारों ने जिनके हलचल मचा दी। एक ने कहा ‘अहिंसा’ परमोधर्म, दूजा बोला स्वराज पाकर लेंगे दम।। एक करता आंदोलन सारी, दूजा बनता फौज भारी। दोनों ने देखा एक ही सपना, पर ढंग था, दोनों का अपना-अपना।। मंजिल एक, रास्ते अलग, ना रुके पहुँचे फलक। बापू बोले तुम …

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बाल-कविताओं का संग्रह: ओमप्रकाश बजाज (भाग 2)

ओमप्रकाश बजाज की बाल-कविताओं का संग्रह

खिचड़ी: ओमप्रकाश बजाज चावल-दाल मिला कर बनती, खिचड़ी घर में सब को भाती। रोगी को डॉक्टर खाने को कहते, हल्की गिजा वे इसे मानते। घी और मसालों का छौंक लगा कर, छोटे-बड़े सब शौक से खाते। बीरबल की खिचड़ी पकाना कहलाती, जब किसी काम में अधिक देर हो जाती। घी खिचड़ी में ही तो रहा, तब कहा जाता, जब घर …

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