Tag Archives: Frustration Hindi Poems

वीर सिपाही: श्याम नारायण पाण्डेय की वीर रस कविता

Maharana Pratap Jayanti

Here is another excerpt from “” the great Veer-Ras Maha-kavya penned by Shyam Narayan Pandey. Here is a description of a soldier fighting for the Motherland. वीर सिपाही: वीर रस कविता भारत-जननी का मान किया, बलिवेदी पर बलिदान किया अपना पूरा अरमान किया, अपने को भी कुर्बान किया रक्खी गर्दन तलवारों पर थे कूद पड़े अंगारों पर, उर ताने शर-बौछारों पर …

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उदास सांझ: कठोर कठिन थके हुए जीवन पर कविता

उदास सांझ: कठोर कठिन थके हुए जीवन पर कविता

As the sun sets and darkness prepares to engulf the world, a strange depression some times sets in our thoughts. In this lovely poem Maitreyee Ji has drawn a shabda chitra of this sense of restlessness. उदास सांझ: मैत्रेयी अनुरूपा दिनभर तपा धूप में थक कर‚ हो निढाल ये बूढ़ा सूरज‚ बैठ अधमरे घोड़ों पर – जो डगमग गिर गिर …

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राह कौन सी जाऊं मैं: अटल जी की चिंतन पर कविता

राह कौन सी जाऊं मैं: अटल जी की चिंतन पर कविता

There are dilemmas in life at every step. What to do? Which alternative to choose? And there are no authentic and correct answers. We must nonetheless make a choice. राह कौन सी जाऊं मैं: अटल बिहारी वाजपेयी चौराहे पर लुटता चीर‚ प्यादे से पिट गया वजीर‚ चलूं आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति रचाऊं मैं‚ राह कौन सी जाऊं मैं? …

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ऐ मेरे बेटे सुन मेरा कहना: पितृ दिवस पर फ़िल्मी गीत

ऐ मेरे बेटे सुन मेरा कहना - साहिर लुधियानवी

आ गले लग जा 1973 में बनी हिन्दी भाषा की प्रेमकहानी फ़िल्म है जिसका निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया है। इसमें शशि कपूर, शर्मिला टैगोर और शत्रुघ्न सिन्हा हैं। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट बनी थी। फिल्म अपने अद्भुत हिट गानों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें साहिर लुधियानवी के गीतों के साथ आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीत था। इस फिल्म …

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माँ तो माँ होती है: मातृ दिवस पर कविता

माँ तो माँ होती है - ओम प्रकाश बजाज

मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, …

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झूठे लोग: आज के दौर पर कटाक्ष करती कविता

झूठे लोग: आज के दौर पर कटाक्ष करती कविता

आज का हिन्दू युवा बॉलीवुड, चलचित्रों, इंटरनेट आदि  द्वारा तेजी से धर्मविमुख हो रहा है इसके लिए माता-पिता को बचपन से ही धर्म की शिक्षा देनी चाहिए और कॉन्वेंट जैसे स्कूलों में नही पढ़ाकर गुरूकुलों में या  किसी ऐसे स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजना चाहिए जहां धर्म का ज्ञान मिलता हो, नही तो बच्चों में संस्कार नही होंगे तो …

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हम देखेंगे: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की विवादास्पद नज़्म

हम देखेंगे: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की विवादास्पद नज़्म

साल 1985 में जनरल ज़िया उल हक़ के फ़रमान के तहत औरतों के साड़ी पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी। पाकिस्तान की मशहूर गुलुकारा इक़बाल बानो ने एहतिजाज दर्ज कराते हुए लाहौर के एक स्टेडियम में काले रंग की साड़ी पहन कर 50000 सामईन के सामने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ये नज़्म गाई। नज़्म के बीच बीच में सामईन …

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अकाल और उसके बाद: भुखमरी की समस्या पर कविता

This poem is of the era when food scarcity and droughts were chronic problems in India. The joy of getting some grains and cooking food after days without food can be imagined. It would have been celebrated not only by humans but the tiny animal life that lurked around. Enjoy this classic short poem by Nagarjun. अकाल और उसके बाद: …

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नया तरीका: नागार्जुन की सरकारी घपलेबाजी पर कविता

नया तरीक़ा - नागार्जुन

नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे शुरूआती दिनों में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखते रहे हैं। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु …

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मेरा नया बचपन: सुभद्रा कुमारी चौहान की हिंदी कविता

सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरा नया बचपन: सुभद्रा कुमारी चौहान की हिंदी कविता – We all miss our childhood. That carefree time of fun without worries never returns. We are for ever stuck with the grown up world of endless worries, apprehensions and ambitions. Here is a very famous poem of Subhadra Kumari Chauhan about that lovely childhood. सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध …

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