Tag Archives: Compromise Hindi Poems

जीवन कट गया: जीवन से रची बसी नीरज की कविता

Gopal Das Neeraj

A life ends, just like millions of lives end. Nothing very important from a wider perspective. One can analyze all one wants, but the basic fact remains that one life ended just as millions do. A lovely poem by Neeraj. जीवन कट गया: गोपाल दास नीरज जीवन कटना था, कट गया अच्छा कटा, बुरा कटा यह तुम जानो मैं तो यह …

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जनम दिन: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता

Gopal Das Neeraj

Here is an excerpt from a poem expressing the wishes of a poor poet for his love on her birthday. आज है तेरा जनम दिन, तेरी फुलबगिया में फूल एक और खिल गया है किसी माली का आज की रात तेरी उम्र के कच्चे घर में दीप एक और जलेगा किसी दिवाली का। आज वह दिन है किसी चौक पुरे …

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अज्ञात साथी के नाम: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता

अज्ञात साथी के नाम - गोपाल दास नीरज

In this age of mobile phones, internet and emails, here is a poem with old-world charm. Old world where a hand written letter could easily light up a day, a life. Here is a charmer from Neeraj. लिखना चाहूँ भी तुझे खत तो बता कैसे लिखूँ ज्ञात मुझको तो तेरा ठौर ठिकाना भी नहीं दिखना चाहूँ भी तुझे तो मैं …

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छिप छिप अश्रु बहाने वालों: नीरज की कविता जो हमेशा हौसला देगी

छिप छिप अश्रु बहाने वालों: गोपाल दास नीरज

This poem is quite in contrast to the previous one “Kaarvan Gujar Gaya” by Gopal Das Neeraj, even its answer in a way. Here is a more optimistic view on life. It exhorts us to take things in stride and carry on even if life brings onto us some nasty surprises. Another beautiful poem of Neeraj… छिप छिप अश्रु बहाने वालों, …

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धर्म है: गोपाल दास नीरज की प्रेरणादायक हिंदी कविता

धर्म है: गोपाल दास नीरज

Here is a lovely poem of Gopal Das Neeraj that tells us that challenges must be met head-on and are not to be avoided. जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है। जिस वक्त जीना गैर मुमकिन सा लगे उस वक्त जीना फ़र्ज है इन्सान का लाज़िम लहर के साथ है तब खेलना जब हो समुन्दर …

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माँ: दिल छू जाने वाली हिंदी कविता

माँ - दिल छू जाने वाली हिंदी कविता

मै तेरा गुनेहगार हूँ माँ मै तुझे भूल गया उन झूठे रिश्तो के लिए जो मैंने बाहर निभाए उन झूठे नातो के लिए जो मेरे काम ना आये मै तेरा गुनेहगार हूँ माँ बॉस के कुत्ते को कई बार डॉक्टर को दिखाना पड़ा पुचकार कर उसे खुद अपना हाथ भी कटवाना पड़ा पर तेरा चश्मा न बनवा पाया तुझे दवा …

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राणा प्रताप की तलवार: श्याम नारायण पाण्डेय जी का वीर रस काव्य

Maharana Pratap Jayanti

श्याम नारायण पाण्डेय (1907 – 1991) वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे। वह केवल कवि ही नहीं अपितु अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस काव्य के अनन्यतम प्रस्तोता भी थे। आरम्भिक शिक्षा के बाद आप संस्कृत अध्ययन के लिए काशी चले आये। यहीं रहकर काशी विद्यापीठ से आपने हिन्दी में साहित्याचार्य किया। द्रुमगाँव (डुमराँव) में अपने घर पर रहते …

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हल्दीघाटी: झाला का बलिदान – श्याम नारायण पांडेय

Haldighati Poem on Maharana Pratap हल्दीघाटी: झाला का बलिदान

It is said that the Mughals were humbled in victory that day at Haldighati and Rana obtained a glorious defeat. Man Singh narrowly escaped the spear of Rana. Mughals by far out numbers Rana’s men. Tired and wounded Rana was headed for a certain death. At that juncture, a valiant warrior in Rana’s army, named Jhala came to his rescue. …

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आरक्षण की तलवार: आरक्षण के मुद्दे पर हिंदी कविता

आरक्षण की तलवार

आरक्षण एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम हर दूसरे व्यक्ति के मुह पर है, अर्थात् आरक्षण भारत मे, बहुत चर्चा मे है। वैसे तो हम, इक्कीसवी सदी मे जी रहे है और अब तक आरक्षण कि ही, लड़ाई लड़ रहे है। युवाओ और देश के नेताओ के लिये, आज की तारीख मे सबसे अहम सवाल यह है कि, आरक्षण किस …

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