कौल कंडोली मंदिर, नगरोटा, जम्मू, जम्मू और कश्मीर

कौल कंडोली मंदिर, नगरोटा, जम्मू, जम्मू और कश्मीर

Name: कौल कंडोली मंदिर, नगरोटा, जम्मू, जम्मू और कश्मीर Kol Kandoli Mata Mandir, Nagrota, Jammu City
Location: Kol Kandoli Mata Mandir – QWW8+H4V, Nagrota, Jammu and Kashmir 181221 India
Deity: Durga (Other names: Vaishnavi, Mahadevi, Mahamaya, Mata Rani, Ambe, Trikuta, Sherawali, Jyotawali, Pahadawali)
Affiliation: Hinduism
Completed: – century
Architecture:

कौल कंडोली मंदिर, नगरोटा, जम्मू

जम्मू शहर से 14 किलोमीटर दूर नगरोटा में स्थित कौल कंडोली मंदिर है। यहां देवी दुर्गा 5 साल की कन्या के रूप में प्रकट हुई थीं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी मां ने इस जगह पर करीब 12 साल की उम्र तक तपस्या की थी। बाद में वह यहां एक पिंडी के रूप में विराजमान हो गईं। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी। दरअसल, पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां से गुजर रहे थे और उन्होंने यहां पूजा की थी। उनकी भक्ति भावना को देख कर मां ने उन्हें स्वप्न में यहां एक मंदिर बनाने को कहा था।

पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार मंदिर के निर्माण के वक्त भीम को बहुत तेज प्यास लगी लेकिन आस-पास पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। तब देवी मां ने मंदिर के पीछे जाकर एक कटोरे में पानी का इंतजाम किया। कहते हैं वह कटोरा इतना चमत्कारिक था कि उससे हजारों लोगों के पानी पीने के बावजूद वह खाली नहीं होता था। देवी मां के कटोरा उत्पन्न करने के समय वहां एक शिवलिंग की भी उत्पत्ति हुई थी। मंदिर में मौजूद शिवलिंग को गणेश्वरी ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी मां इस जगह आज भी विराजमान हैं और वह कन्या स्वरूप में हैं इसलिए उनके दर्शन किए बिना वैष्णो देवी की यात्रा अधूरी मानी जाएगी।

श्रीमाता वैष्णो देवी भारत में तीसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है जो जम्मू कश्मीर राज्य के कटरा में स्थित है जहा हर साल 90 लाख से भी ज़ादा श्रद्धालु माता वैष्णो देवी की पवित्र यात्रा व अधभुद दर्शन करने देश विदेश से आते है। श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा में 5 मुख्य पड़ाव आते है जैसे:

  • बाणगंगा
  • चरणपादुका
  • अर्द्धकुवारी
  • भवन व
  • भैरो बाबा

पर सभी भक्तो को एक मंदिर के दर्शन श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा करने से पहले करना अनिवार्य होता है वरना माता वैष्णो देवी की यात्र अधूरी मानी जाती है|

असल में श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा की यात्रा जम्मू के नगरोटा में स्थित कॉल कंडोली मंदिर से आरम्भ होती है जिसके बारे में माता वैष्णो देवी की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु को नहीं पता होता। कौल कोन्डली मंदिर जम्मू से 15 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। माता कौल कोन्डली नाम क्यो पड़ा? “कौल” का अर्थ होता है ‘कटोरा’ और वही “कोन्डली” का तात्पर्य कौड़ियाँ से है।

माँ कोल कंडोली ने इस मंदिर में चार बार चांदी के कौल अर्थार्त कटोरे प्रकट किए थे। माँ ने इसी स्थान पर स्थानीय कन्याओं के साथ कोडियाँ खेली है और झूले भी झूलें है। इसी कारण इस अधभुद मंदिर का नाम कौल कंडोली रखा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में माँ वैष्णो यहां पर 5 वर्ष की उम्र में कन्या के रूप में प्रकट हुई थी।

माँ वैष्णों ने इस स्थान पर 12 वर्ष तक तपस्या की तथा तपस्या वाले स्थान पर ही पिण्डी रूप धारण भी किया। 12 साल कि तपस्या के दौरान माता कौल कन्डोली ने विश्व शांति हेतू हवन यज्ञ और भण्डारे भी किए थे। कोल कंडोली माँ ने तैंतीस करोड़ देवताओं के लिए चांदी का कौल अर्थार्त कटोरा प्रकट किया और माँ ने कटोरे के अन्दर से 36 प्रकार का भोजन भी प्रकट कर देवताओं को भोजन करवाया। जब पांडवो को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो पाडवों और उनकी माता कुन्ती को मालूम हुआ कि नाग राज गांव यानि नगरोटा में माँ कोल कंडोली निवास करती है और अपने भक्तों कि मनोकामना पूरी करती है।

तब माता कुन्ती और पांडव यहां पर आए और माता कुन्ती ने माँ कोल कंडोली से मन्नत मांगी की माँ मेरे बेटों का अज्ञात वास खत्म हो जाए और पान्डवों को उनका राज पाठ वापिस मिल जाए। माता कुन्ती की मन्नत सुन कोल कंडोली माँ ने कुन्ती से कहा कि मेरा मंदिर नागराज यानि नगरोटा शहर में बनाओ तुम्हारी सारी इच्छा पूर्ण ज़रूर होंगी। माँ की यह बात सुन पांडवों ने कोल कंडोली माँ का यह (मंदिर) सिर्फ एक रात मे बनाया था और वो रात 6 माह की हुई थी।यही कारण था की पांडवो से कोल कंडोली माँ के मंदिर का निर्माण कियाइस मंदिर के परिसर में गण्डेश्वरी ज्योतिलिंग का भी मंदिर है ऐसा कहा जाता है कि जब पांडव माँ का भवन बना रहे थे तब भीम ने बोला कि मातेश्वरी मुझे बहुत प्यास लगी है।

यह बात सुन कोल कंडोली माँ ने चांदी के कौल अर्थार्त कटोरे को जमीन पर घिसा तो जमीन से जल प्रकट हुआ और उसी निर्मल व अधभुद जल को सबने प्रशाद स्वरुप भी ग्रहण किया वही उसी स्थान पर माँ के सेवकों ने कुआं का निर्माण भी किया| कोल कंडोली मंदिर में स्थित कुएँ का जल पीने से मन को शान्ति मिलती है और वही इस कुएँ के जल को शरीर पर छिड़कने से शरीर की शुद्धि भी होती है।

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