राष्ट्रीय एकता दिवस पर जानकारी विद्यार्थियों के लिए

राष्ट्रीय एकता दिवस पर जानकारी

राष्ट्रीय एकता दिवस: राष्ट्रीय एकीकरण विभिन्न जातियों, संस्कृतियों, धर्मों और क्षेत्रों से रहने के बाद भी एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिये देश के लोगों के बीच आम पहचान की भावना को दर्शाता है। यह विविधता में एकता और महान स्तर करने के लिए लोगों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देता है। यह अलग समुदाय के लोगों के बीच एक प्रकार की जातीय और सांस्कृतिक समानता लाता है। यह कहा जा सकता है कि वह एकता है जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ आम भारतीय लोगों के बीच व्यक्त की गयी थी।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर जानकारी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

भारत की गणना विश्व के सबसे बडे देशों में से एक के रुप में की जाती है जोकि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और बोलियॉ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी धर्मों को विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ शामिल करता है। यह जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में प्रमुख भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।

हालांकि, राष्ट्रीय एकता की राह में बहुत सी बुरी ताकतें (शक्तियाँ) आती है जो विभिन्न संप्रदायों के लोगों के बीच संघर्ष की भावना पैदा करती जिसका परिणाम एकता और प्रगति के रास्ते को नष्ट करने के रुप में प्राप्त होता है। समाजवाद एकता और प्रगति की राह में आने वाला सबसे बडा अवरोधक है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण भारत की आजादी के दौरान 1947 में पाकिस्तान का बँटवारा है जिसके अन्तर्गत कई लोगों ने अपना जीवन और अपने घरों को खो दिया। भारत पर शासन करने का ब्रिटिश सत्ता का मुख्य बिंदु सांप्रदायिकता था; उन्होंने भारतीयों को हिंदुओं और मुसलमानों विभाजित किया और लंबे समय के लिए शासन किया। अब, यह कहते हुये दुख होता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद भी, भारतीय लोगों के मस्तिष्क से सांप्रदायिकता की भावना नहीं गयी है, जिसका सबसे बडा उदाहरण आज भी भारत से सांप्रदायिकता की भावना को दूर करने के प्रयास को सफल करने के उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस का मनाया जाना है। यही कारण है कि आजादी के 60 साल से भी अधिक समय होने के बाद भी हम विकासशील देशों की श्रेणी में गिने जाते है न कि विकसित देशों की श्रेणी में।

भाषाई मतभेद और जातिवाद भी भारतीय एकता के लिए खतरा पैदा करने का मुख्य बिंदु हैं। एक धर्म और जाति के लोग समर्थन देते है वहीं दूसरे काफी हद तक उनकी प्रगति और विकास में अवरोध उत्पन्न करते है। इस का महान उदाहरण कार्य नियुक्तियॉ, राजनीतिक चुनाव और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के समय जाति का महत्व शामिल है। यहां तक कि लोग अन्य जातियों के लोगों से बातचीत करने से बचते है।

इस सब के बावजूद बहुत सी शक्तिय़ॉ है जो हमारी एकता के लिये खतरा है, वहीं भारतीय संविधान के जनक (डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर) द्वारा स्थापित किया गया भारतीय संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समानता के माध्यम से इन सभी खतरों को हल करने की क्षमता रखता है जो राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बलों के रूप में गिने जाते हैं। वार्षिक आधार पर राष्ट्रीय एकता का जश्न अन्य धर्मों के लिए लोगों के बीच सहिष्णुता और समझ विकसित करने के लिए सभी के लिए एक अवसर के लिए लाता है। विभिन्न राष्ट्रीय स्तर कार्यक्रम समारोह और राष्ट्रीय प्रतीक जैसे राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय चिह्न और राष्ट्रीय गान भी एकता को बढ़ावा देने वाली शक्ति के रूप में काम कर रहे हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस:

राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल पूरे भारत में 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के जन्म दिन की सालगिरह के रुप में मनाया जाता है। जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों के कार्यालय के सदस्य एक ही स्थान पर एक साथ समाज में आम सद्भाव को सुनिश्चित करने की लिए प्रतिज्ञा लेने के लिए मिलते है। आधिकारिक तौर पर, हर राष्ट्रीय एकता दिवस पर दिवंगत प्रधानमंत्री की प्रतिमा पर पुष्प श्रद्धांजलि दी जाती है।

यह सब भारतीय लोगों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। देश के आजाद होने के बाद भी, भारत के लोग फिर भी आजाद नहीं थे, कहीं ना कहीं वे अभी भी गुलाम थे। देश के कुछ राजनीति से प्रेरित युवक लगातार समाज में लोगों की एकता और सांप्रदायिक सद्भाव में खलल डाल रहे थे। राष्ट्रीय एकता दिवस भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के जन्मदिन का जश्न याद करने के रूप में कौमी एकता दिवस के नाम से भी प्रसिद्ध है।

राष्ट्रीय एकता परिषद क्या है:

भारत की राष्ट्रीय एकता परिषद, वरिष्ठ राजनीतिज्ञों की और लोगों की एक विधानसभा है, जिसे भारत में जातिवाद, सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद जैसी समस्याओं पर अभिभाषण करने की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया था। यह पहली बार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1961 में आयोजित सम्मेलन में, देश की एकता को विभाजित करने के साथ ही प्रगति में बाधा उत्पन्न समस्याओं से लड़ने के उद्देश्य को लेकर स्थापित किया गया था।

यह अप्रैल 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 147 सदस्यों के साथ पुर्नगठित किया गया था। राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्यों द्वारा समय-समय पर भेदभाव के उन्मूलन, सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के साथ ही साथ देश से सांप्रदायिकता और हिंसा के नियंत्रण के लिये बैठक का आयोजन किया जाता है।

राष्ट्रीय एकता दिवस के उद्देश्य:

  • राष्ट्रीय एकता दिवस लोगों के बीच एकता, शांति, प्रेम और भाईचारे के बारे में प्रोत्साहित करने के लिए हर साल मनाया जाता है।
  • भारतीय समाज में संस्कृति, कई भाषाओं, धर्मों, भौगोलिक विविधता होने के बावजूद भी भारतीय लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए।
  • युवाओं और विभिन्न धर्मों के अन्य लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और शिक्षा शिविर के माध्यम से एक दूसरे के साथ मिलकर एक समूह में काम करने और समझने के लिए।
  • समाज में लोगों की एकता को मजबूत करने के लिए विविध विचारों, धर्मों और जीवन शैलियों के बारे में युवाओं के बीच बेहतर समझ विकसित करने के लिए।

कैसे मनाया जाता है:

राष्ट्रीय एकता दिवस भारत में हर साल बहुत सी सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन जैसे इंटर स्टेट यूथ एक्सचेंज कार्यक्रम (आई. एस. वाई. ई. पी.), राष्ट्रीय एकता शिविर (एनआईसी), राष्ट्रीय युवा महोत्सव, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार और आदि राष्ट्रीय एकता से संबंधित मुद्दों से निपटने के विषयों पर संगोष्ठी, सेमिनार जैसे कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन करके मनाया जाता है। शिविरों में अनुसंधान गतिविधियाँ और प्रकाशन आयोजित किये जाते हैं। विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि, क्षेत्रों और धर्मों के युवाओं द्वारा विविध सामुदायिक सेवाओं को किया जाता है। युवाओं को शिविरों में नेतृत्व करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। सार्वजनिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए अन्य विभिन्न कार्यक्रमों और शिविरों का आयोजन किया जाता हैं।

इंदिरा गांधी के बारे में:

इंदिरा गाँधी, भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री का जन्म 19 नवंबर, साल 1917 में इलाहबाद में हुआ था। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की बेटी थी। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा विश्व भारती विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड से प्राप्त की। उन्हें बचपन से ही राजनीतिक जीवन से प्यार था जो एक दिन सही हुआ।

उनकी शादी 1942 में फिरोज गाँधी से हुई थी और उन्हें 1955 में काग्रेंस की कार्यकारी समिति सदस्य बनने का अवसर प्राप्त हुआ। इंदिरा गांधी एक महान राजनीतिक नेता थी और इस प्रकार वर्ष 1959 में उन्हें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। वह लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल की सूचना मंत्री के रुप में सदस्य भी बनी। 1966 में ताशकंद, रूस में शास्त्री जी की अचानक मौत के बाद वह भारत की प्रधानमंत्री के रूप में चुनी गयी।

उन्होंने भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे और परंपरा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध संभाला और जीत भी हासिल की। उन्होंने घोषित उद्देश्यों को पाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा में कड़ी मेहनत की थी। उन्होंने लोकतांत्रिक समाजवाद और कमजोर वर्गों के लिए बहुत काम किया। उनके नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला संधि पर हस्ताक्षर, भारत-सोवियत शांति, सहयोग और मैत्री संधि की गयी थी। उनके नेतृत्व में पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण हुआ। उनके कुशल मार्गदर्शन के नीचे नई दिल्ली में पहले एशियाई खेलों का आयोजन, पहले अंतरिक्ष यात्री स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष की यात्रा करना और अंतरिक्ष अनुसंधान और शांतिपूर्ण परमाणु विकास हुआ।

उनकी संगीत, साहित्य और ललित कला में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी। उन्हें 1971 में महान भारतीय पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वह आधुनिक भारत का एक आकर्षक नेता साबित हुई जिसने वैश्विक मामलों और गुटनिरपेक्ष आंदोलन पर एक छाप छोड़ दी। उनका अपने आवास पर हत्यारे की गोलियों से 1984 में 31 अक्टूबर को निधन हो गया था।

राष्ट्रीय एकता दिवस की आवश्यकता:

हमारे देश के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस का यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में हमारे देश के एक और अखंडता के उपर कई सारी चुनौतिया मंडरा रही है। आज हमारे देश में कई तरह के विद्रोही और चरमपंथी समूह मौजूद है जो हमारे देश की एकता को नष्ट करना चाहते हैं पर यह कार्य वह हम जैसे साधरण नागरिकों को गुमराह किये बिना नही कर सकते हैं। इसलिए आजकल वह अपने सिद्धांतो और कट्टपंथी विचारों के प्रचार प्रसार के लिए तमाम तरह के साधनों की सहायता ले रहें है जैसे कि इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि। इनके द्वारा वह युवाओं को प्रभावित करने का प्रयास करते है, इसके लिए वह भड़काऊ भाषण और धार्मिक कट्टरता की सहयता लेने से भी नही चूकते हैं।

देश को तोड़ने वाली शक्तियों के इन्हीं प्रयासों को रोकने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस की स्थापना की गई है। यह भारत के सबसे प्रभावी प्रधानमंत्रियोंमें से एक माने जाने वाली इंदिरा गांधीके जन्म दिवस के दिन यानी 19 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि वह श्रीमती इंदिरा गांधी ही थी, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता को कायम रखने के लिए अपने प्राणो तक का बलिदान कर दिया। यह दिन हमें हमारे राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है और यहीं वह मुख्य कारण है, जिससे हमें राष्ट्रीय एकता दिवस के इस दिन को भव्यतापूर्वक और वृहद स्तर पर मनाने की आवश्यकता है।

दिवस का महत्व:

राष्ट्रीय एकता दिवस के दिन के महत्व को समझने के लिए हमें भारतीय विविधता को समझना होगा जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा भारत देश विविधताओं से भरा हुआ है, यहां विभिन्न प्रकार के धर्म, संप्रदाय को मानने वाले और कई भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं। यही कारण है कि यहा हमारे देश में विविधता में एकता का नारा इतना प्रसिद्ध है।

भारत जैसे विविधता और बहुसांप्रदायिक वाले देश में राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व बहुत ज्यादा है। यह दिन हमें इस बात की याद दिलाने के लिए बनाया गया है कि भले ही हम अलग-अलग भाषाएं बोलते हो, वेषभूषा पहनते हों या फिर अलग-अलग तरह के धर्म और संप्रदायों में विश्वास रखते हों पर राष्ट्रीय रुप से हम कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक हैं और भारतीयता ही हमारी पहचान है।

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