यदि - ओम प्रकाश बजाज

यदि – ओम प्रकाश बजाज

Surajसोचो ज़रा यदि सूरज दादा
किसी दिन ड्यूटी पर न आते।

बहाना बना कर तुम्हारी तरह
वह भी छुट्टी मनाते।

दिन में भी अन्धेरा छा जाता
हाथ को हाथ सुझाई न देता।

संसार के सारे काम रुक जाते
समय का भी तो भान न होता।

अपनी ड्यूटी के पक्के सारे
सूरज चाँद और तारे।

इनसे सीखो तुम भी निभाना
नियमपूर्वक अपने कर्त्तव्य सारे।

∼ ओम प्रकाश बजाज

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