Motivational Hindi Bal Kavita कुछ बनो

Motivational Hindi Bal Kavita कुछ बनो

तुम भी तो कुछ बनो
हौले से बोली ठंडी बयार।

सुबह हुई उठ तैयार,
करने को कुछ काम, व्यवहार।

न सोचो है आज रविवार,
न सोचो है त्यौहार।

पल-पल से बने हैं
घण्टे और घण्टो से बना दिन।

हर दिन की कीमत तू जान,
कर मेहनत बना अपनी पहचान।

~ गुर सिमरन सिंह (आठवी ‘ड’) St. Gregorios School, Gregorios Nagar, Sector 11, Dwarka, New Delhi

आपको गुर सिमरन सिंह की यह कविता “कुछ बनो ” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

World Veterinary Day: History, Celebration, Theme, FAQs

World Veterinary Day: History, Celebration, Theme, FAQs

The World Veterinary Day is commemmorated to honour the veterinary profession every year on the …