मदारी का वादा - राजीव कृष्ण सक्सेना

मदारी का वादा – राजीव कृष्ण सक्सेना

बहुत तेज गर्मी है
आजा सुस्ता लें कुछ
पीपल की छैयां में
पसीना सुख लें कुछ

थका हुआ लगता है
मुझे आज बेटा तू
बोल नहीं सकता पर
नहीं छुपा मुझसे कुछ

कितनी ही गलियों में
कितने चुबारों में
दिखलाया खेल आज
कितने बाज़ारों में

कितनी ही जगह आज
डमरू डम डम बोला
बंसी की धुन के संग
घुमा तू ले झोला

उछल कूद कर कर के
लोगो को बहलाया
तेरे ही कारन कुछ
अन्न देह ने पाया

पता नहीं कैसा यह
तेरा मेरा नेता
हर दिन बस गली गली
रब हमको भटकाता

हर दिन फिर खेल वहीं
बच्चो की किलकारी
हर दिन का अंत वहीं
जेबें बिलकुल खाली

सोचता कभी यह हूँ
बोल अगर तू सकता
कहता तू क्या मुझसे
क्या क्या बातें करता

“इतनी मेहनत बाबा
काहे को करता है
पेट नहीं पूरा क्यों
फिर भी यह भरता है”

शायद कहता यह भी
“अब से मैं जाऊंगा
बेटा हूँ मैं तेरा
कमा कर खिलाऊंगा”

बोले न बोले तू
बेटा ही है मेरा
बहुत ही सहारा सुन
मुझे सदा है तेरा

उठ जा अब चलते है
लाठी रख कंधे पर
एक खेल और आज
करते हैं नुक्क्ड़ पर

मंगल की हाट लगी
लोगो की भीड़ बड़ी
खेल दिखलाने का अब
मौका है इसी घडी

चने अभी खा ले तू
समय नहीं ज्यादा है
केला ले कर दूंगा
पक्का यह वादा है

∼ राजीव कृष्ण सक्सेना

Check Also

Ramayana 2 – Quiz for Ram Navami

Ramayana 2: Ram Navami Quiz For Students

Ramayana 2: Ram Navami Quiz For Students – Everyone knows about Lord Rama and the epic …