हम सब सुमन एक उपवन के - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के: द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी, जिसकी मिट्टी में जन्मे हम।
मिली एक ही धूप हमें है, सींचे गए एक जल से हम।
Hum Sab Suman Ek Upvan Keपले हुए हैं झूल-झूल कर, पलनों में हम एक पवन के।
हम सब सुमन एक उपवन के॥

रंग रंग के रूप हमारे, अलग-अलग है क्यारी-क्यारी।
लेकिन हम सबसे मिलकर ही, इस उपवन की शोभा सारी।
एक हमारा माली हम सब, रहते नीचे एक गगन के।
हम सब सुमन एक उपवन के॥

सूरज एक हमारा, जिसकी किरणें उसकी कली खिलातीं।
एक हमारा चांद चांदनी, जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एकसे स्वर हमको हैं, भ्रमरों के मीठे गुंजन के।
हम सब सुमन एक उपवन के॥

काँटों में मिलकर हम सबने, हँस हँस कर है जीना सीखा।
एक सूत्र में बंधकर हमने, हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी, हम श्रंगार धनी निर्धन के।
हम सब सुमन एक उपवन के॥

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

आपको “द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी” यह कविता “हम सब सुमन एक उपवन के” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

BINU DANCE OF BAHAG BIHU

Bohag Bihu Festival Information: Assam Festival Rongali Bihu

Bohag Bihu Festival Information: The Rongali Bihu is the most important among all the three …