आतंकवाद, अपराध और फिरौती की घटनाओं से शहर और प्रदेश की हवा भय और असुरक्षा की आंधी में बदल चुकी थी। हर दिन किसी न किसी वारदात से लोग सहमें हुऐ थे। वे भूल गये थे कि प्रदेश में सरकार या पुलिस भी है। वे चाहने लगे थे कि शीघ्र चुनाव हो और सत्ता उर्जावान, ईमानदार नई पौध को सौंप …
Read More »खाली कमरा – ज्ञान प्रकाश विवेक
कमरा और मैं एक साथ पुराने हुए। कमरा जब नया लगता था, तब मैं भी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था। पता नहीं कब और कैसे, कमरा मेरा दोस्त बनता चला गया। कमरा जितना पुराना होता गया, उतना ज्यादा मुझे अपना लगने लगा। जैसे कमरा न हो, मेरा चेहरा हो। घर के बाकी सब जन अपने कमरों में …
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