Gyan Prakash Vivek

आठवें दशक के उत्तरार्ध में उभरे ज्ञानप्रकाश विवेक आधुनिक युग लोकप्रिय व बहुचर्चित रचनाकारों में से हैं। हिन्दी ग़ज़लों के क्षेत्र में उनका नाम दुश्यंत कुमार के साथ लिया जाता है। कहानियों के क्षेत्र में भी उन्होंने काम किया है और भारतीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं। आपके दो ग़ज़ल संग्रह व एक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके है।

खाली कमरा – ज्ञान प्रकाश विवेक

खाली कमरा - ज्ञान प्रकाश विवेक

कमरा और मैं एक साथ पुराने हुए। कमरा जब नया लगता था, तब मैं भी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था। पता नहीं कब और कैसे, कमरा मेरा दोस्त बनता चला गया। कमरा जितना पुराना होता गया, उतना ज्यादा मुझे अपना लगने लगा। जैसे कमरा न हो, मेरा चेहरा हो। घर के बाकी सब जन अपने कमरों में …

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