Maheshwar Tiwari

डॉ. माहेश्वर तिवारी जन्म: 22 जुलाई 1939 को बस्ती (संतकबीर नगर), उत्तर प्रदेश, भारत में। प्रकाशित कृतियाँ– हरसिंगार कोई तो हो, नदी का अकेलापन, सच की कोई शर्त नहीं, फूल आए हैं कनेरों में (सभी नवगीत-संग्रह), विविध नवगीतों का विभिन्न भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेज़ी में अनुवाद तथा कैसेट काव्यमाला। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान तथा बरेली (उ.प्र.) के ‘विष्णु प्रभाकर स्मृति साहित्य सम्मान-2011’ सहित ढेरों पुरस्कारों से सम्मानित।

सारे दिन पढ़ते अख़बार – माहेश्वर तिवारी

सारे दिन पढ़ते अख़बार - माहेश्वर तिवारी

सारे दिन पढ़ते अख़बार; बीत गया है फिर इतवार। गमलों में पड़ा नहीं पानी पढ़ी नहीं गई संत-वाणी दिन गुज़रा बिलकुल बेकार सारे दिन पढ़ते अख़बार। पुँछी नहीं पत्रों की गर्द खिड़की-दरवाज़े बेपर्द कोशिश करते कितनी बार सारे दिन पढ़ते अख़बार। मुन्ने का तुतलाता गीत- अनसुना गया बिल्कुल बीत कई बार करके स्वीकार सारे दिन पढ़ते अख़बार बीत गया है …

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बांसुरी दिन की – माहेश्वर तिवारी

बांसुरी दिन की - माहेश्वर तिवारी

होंठ पर रख लो उठा कर बांसुरी दिन की देर तक बजते रहें ये नदी, जंगल, खेत कंपकपी पहने खड़े हों दूब, नरकुल, बेंत पहाड़ों की हथेली पर धूप हो मन की। धूप का वातावरण हो नयी कोंपल–सा गति बन कर गुनगुनाये ख़ुरदुरी भाषा खुले वत्सल हवाओं की दूधिया खिड़की। ∼ माहेश्वर तिवारी

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