Kishan Saroj

आजादपुरम, छावनी, अशरफ खां रोड, बरेली-243122, फोन : 0581-541004 किशन सरोज गीत विधा के रागात्मक भाव के कवि हैं। इन्होंने अब तक लगभग ४०० गीत लिखे हैं। इनके प्रेमपरक गीत सहज अभिव्यंजना एवं नवीन उत्प्रेक्षाओं के कारण मर्मस्पर्शी हैं।

तुम निश्चिन्त रहना – किशन सरोज

तुम निश्चिन्त रहना - किशन सरोज

कर दिये लो आज गंगा में प्रवाहित सब तुम्हारे पत्र‚ सारे चित्र तुम निश्चिन्त रहना। धुंध डूबी घाटियों के इंद्रधनुष छू गये नत भाल पर्वत हो गया मन बूंद भर जल बन गया पूरा समंदर पा तुम्हारा दुख तथागत हो गया मन अश्रु जन्मा गीत कमलों से सुवासित वह नदी होगी नहीं अपवित्र तुम निश्चिन्त रहना। दूर हूं तुमसे न …

Read More »

याद आये – किशन सरोज

याद आये फिर तुम्हारे केश मन–भुवन में फिर अंधेरा हो गया पर्वतों का तन घटाओं ने छुआ, घाटियों का ब्याह फिर जल से हुआ; याद आये फिर तुम्हारे नैन, देह मछरी, मन मछेरा हो गया प्राण–वन में चन्दनी ज्वाला जली, प्यास हिरनों की पलाशों ने छली; याद आये फिर तुम्हाते होंठ, भाल सूरज का बसेरा हो गया दूर मंदिर में …

Read More »

कितने दिन चले – किशन सरोज

कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की देखिये, तट­बंध कितने दिन चले मोह में अपनी मंगेतर के समुंदर बन गया बादल, सीढ़ियाँ वीरान मंदिर की लगा चढ़ने घुमड़ता जल; काँपता है धार से लिपटा हुआ पुल देखिये, संबंध कितने दिन चले फिर हवा सहला गई माथा हुआ फिर बावला पीपल, वक्ष से लग घाट से रोई सुबह तक नाव हो पागल; …

Read More »

जल – किशन सरोज

नींद सुख की फिर हमे सोने न देगा यह तुम्हारे नैन में तिरता हुआ जल। छू लिये भीगे कमल, भीगी ऋचाएँ मन हुए गीले, बहीं गीली हवाएँ। बहुत संभव है डुबो दे सृष्टि सारी, दृष्टि के आकाश में घिरता हुआ जल। हिमशिखर, सागर, नदी, झीलें, सरोवर, ओस, आँसू, मेघ, मधु, श्रम, बिंदु, निर्झर, रूप धर अनगिन कथा कहता दुखों की …

Read More »