पीलू Hindi Wisdom Story of a Butterfly

पीलू Hindi Wisdom Story of a Butterfly

फूलों की घाटी में अनगिनत फूलों के बीच, इधर उधर डोलती एक नन्ही सी तितली “पीलू” बैठी सोच रही थी कि हज़ारों रंग बिरंगे फूलों में अनगिनत रंग हैं और मेरे पास देखो, सिर्फ एक ही रंग है पीला… जो कि मुझे बिलकुल पसंद नहीं है।

तभी उसकी नज़र एक खूबसूरत बैंगनी फूल पर पड़ी और उसने बड़े ही प्यार से उसकी ओर ताकते हुए सोचा कि काश मेरे भी बैंगनी पंख होते तो कितना अच्छा होता। वो खुद को रोक ना सकी और जाकर बैंगनी फूल पर बैठ गई। तभी उसकी नज़र एक सुर्ख नारंगी तितली पर पड़ी, जिसके पंखों में काले रंग के चमकदार मोती जैसे गोले बने हुए थे। पीलू ने अपने पीले पंखों को देखा और दुखी होकर जोर-जोर से रोने लगी। उसने सोचा कि मैं ही अकेले बदसूरत हूँ बाकी सबके रंग कितने सुन्दर हैं। तभी एक नीलकंठ वहाँ से उड़ते हुए गुजरा। उसकी गर्दन पर सुन्दर सी नीली धारी देखकर तो देखकर रो पीलू के सब्र का बांध टूट गया और वह जोर-जोर से रोने लगी।

नीलकंठ के पूछने पर पीलू ने उसे अपने रोने का कारण बता दिया।

यह सुनकर नीलकंठ उसके पास आया और बोला-“तुम ऐसा क्यों सोचती हो? मुझे तो तुम बहुत सुन्दर लग रही हो”।

“नहीं नहीं… मुझे अपना पीला रंग बिलकुल पसंद नहीं है” पीलू चिल्लाकर बोली।

“अच्छा, तुम उदास मत हो। मैं तुम्हें सोन परी के पास ले चलता हूँ जिसके पास सभी रंग हैं और वो पलक झपकते ही वो तुम्हें तुम्हारा पसंदीदा रंग दे देगी।

पीलू ख़ुशी से उछलते हुए बोली – “सच… तब तो मुझे अभी उसके पास ले चलो।”

“हाँ हाँ क्यों नहीं, हम अभी सोन परी के पास चलते हैं।”

पीलू ख़ुशी से झूम उठी और नीलकंठ के साथ उड़ चली। रूई के फाहे जैसे नाजुक सफ़ेद बादलों के ऊपर जाते हुए पीलू को बहुत मजा आ रहा था। उड़ते उड़ते रात हो गई और टिमटिमाते तारों के बीच में जगमगाते चाँद को देखकर तितली खुशी से किलकारी मारने लगी। चाँद ने मुस्कुराते हुए पूछा – “तुम लोग कहाँ जा रहे हो?”

पीलू हँसते हुए नीलकंठ से बोली – “क्या मैं चंदा मामा को बता दूँ कि हम कहाँ जा रहे हैं”।

नीलकंठ पीलू का उत्साह देखकर धीरे से हँसकर बोला – “हाँ …बता दो”।

नीलकंठ की सहमति पाकर पीलू ने चाँद को सारी बातें बता दीं।

चाँद यह सुनकर बड़े ही प्यार से बोला – “मुझे देखो, मेरा भी तो एक ही रंग है सफ़ेद… पर मैं खुश हूँ। क्या मैंने कभी अपना रंग बदला। पर हाँ, सोन परी हम सबसे सुन्दर है।”

चाँद की बात सुनकर टिम टिम करते तारे भी चहकते हुए बोले – “सोन परी बहुत अच्छी है। वो सच में हम सबसे सुन्दर है और उसने हमेशा हमारी मदद की है”।

चाँद ये सुनकर बोला – “हाँ… और उससे सुन्दर और अच्छा कोई हो भी नहीं सकता”।

यह सुनकर पीलू खिलखिलाकर हँस दी और उनसे विदा लेकर नीलकंठ के साथ उड़ चली।

पीलू की आँखें ख़ुशी से छलक उठीं। उसने सोचा कि आज मुझे हमेशा के लिए इस गंदे पीले रंग से छुटकारा मिल जाएगा।

थोड़ा आगे बढ़ने पर नीलकंठ ने पीलू को एक बहुत खूबसूरत और भव्य महल की ओर इशारा किया और कहा – “यही है सोन परी का महल”।

पीलू को तो एक पल के लिए तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। चमचमाते हीरों ओर मोतियों से जगमगाते हुए उस भव्य महल को देखकर ख़ुशी के मारे पीलू चीख पड़ी ओर बोली – “इतना खूबसूरत महल… जल्दी मुझसे इसके अन्दर ले चलो”।

महल के विशाल द्वार पर सफ़ेद हाथी मलमल के मुलायम कपड़ों और गहनों से सजे हुए खेल रहे थे।

एक प्यारे से नन्हें हाथी ने अपनी सूंड़ उठाकर उसका अभिवादन किया और पूछा – “तुम यहाँ क्यों आई हो?”

पीलू बोली – “मुझे सोन परी की मदद चाहिए”।

“हाँ – हाँ, क्यों नहीं वह दुनिया में सबसे अच्छी है। हमेशा सबकी मदद करती है। तुम्हारी भी ज़रूर करेगी”।

और यह कहकर नन्हा हाथी फिर से अपने दोस्तों के साथ खेलने लगा।

पीलू नीलकंठ के साथ सोन परी के कमरे में जा ही रही थी कि तभी उसे एक बहुत ही खूबसूरत परी दिखी जो लाल कपड़ों में बैठी हुई थी। पीलू उसे देखते ही समझ गई कि इतनी सुन्दर तो केवल सोन परी ही हो सकती है।

और वह तेजी से उड़ते हुए उसके के पास पहुँच गई। तभी उस परी ने छड़ी उठाकर पीलू को बहुत जोर से मार दिया। बेचारी पीलू दर्द के कारण चीख उठी और फूट-फूट कर रोने लगी।

तभी नीलकंठ चिल्ला उठा – “अरे, उससे बचो, वह बहुत दुष्ट है। वह सबको बहुत मारती है”।

ज़ख़्मी पीलू जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वहाँ से भागी।

पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि भला इतनी सुन्दर परी भी क्या इतनी निर्दय हो सकती है। तभी नीलकंठ एक ओर इशारा करके बोला – “वो देखो सोन परी”।

पीलू की आँखें आश्चर्य से फैल गईं। बिलकुल काले रंग की परी एक घायल हिरन के पैर की मरहम पट्टी कर रही थी। जैसे ही वे सोन परी के पास पहुंचे तो पीलू के आधे टूटे पंख को देखकर सोन परी की आँखों में आँसू आ गए।

उसने बहुत ही प्यार से पीलू के ऊपर अपना हाथ फेरा ओर पीलू के बहते खून को पोंछकर बोली-“अभी कुछ ही देर में तुम्हारा पंख भी जुड़ जाएगा और तुम्हारा दर्द भी छूमंतर हो जाएगा”।

और थोड़ी ही देर में पीलू का घाव भर गया और वह पहले की तरह बिलकुल ठीक हो गई।

सोन परी अब उसे सच में दुनिया की सबसे खूबसूरत परी लग रही थी। अब जाकर उसके समझ में आया कि सभी लोग सोन परी को इतना प्यार क्यों करते है।

सोन परी ने बड़े ही प्यार से उससे पूछा – “तुम मेरे पास इतनी दूर आई हो… क्या चाहिए तुम्हें?”

पीलू की आँखों में सोन परी का प्यार और स्नेह देखकर आँसू आ गए। वह उसके गले लगते हुए बोली – “मुझे आप अपने जैसा अच्छा बना दो सोन परी”।

सोन परी ने उसको प्यार से चूमा और बोली-“ऐसा ही होगा।”

और पीलू लौट पड़ी नीलकंठ के साथ अपने देश की ओर… सबको बताने कि तन की नहीं बल्कि मन की सुन्दरता ही असली सुन्दरता है।

और फिर कभी पीलू को अपने रंग से कोई शिकायत नहीं रही।

~ डॉ. मंजरी शुक्ला (नंदन में प्रकाशित)

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