Tajamul Islam: World Kickboxing Champion बंदूकों के साए में भी देश का गौरव बढ़ाया

तजामुल इस्लाम: बंदूकों के साए में भी देश का गौरव बढ़ाया

तजामुल इस्लाम: अंडर-8 वर्ल्ड किकबॉक्सिंग चैम्पियन

जम्मू-कश्मीर में बांदीपोरा के आर्मी गुडविल स्कूल की दूसरी कक्षा की छात्रा तजामुल इस्लाम इटली के आंद्रिया से अंडर-8 वर्ल्ड किकबॉक्सिंग चैम्पियनशिप जीत कर अभी हाल ही में भारत लौटी है। 8 वर्षीय तजामुल आत्मविश्वास से लबरेज शब्दों में कहती है,”लड़के मुझसे डरते हैं। मैं उनके दांत तोड़ सकती हूं।” यह चैम्पियनशिप उसने अमेरिका, चीन, कनाडा तथा इटली के खिलाड़ियों को हरा कर जीती है। तजामुल एक ऐसे गांव से है जहां अभी तक ढंग की सड़कें भी नहीं हैं। यहां तक कि वहां खेल से संबंधित सुविधाएं तक नहीं हैं। सबसे बुरी बात यह है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन आतंकी बुरहान वानी की हत्या के बाद घाटी लगातार दंगो से झुलस रही है।

हालांकि कई अन्य स्कूल या तो बंद है या जला दिए गए हैं, राष्ट्रीय राइफल्स की 14वीं बटालियन द्वारा संचालित आर्मी गुडविल स्कूल कक्षाएं चला रहा है। तजामुल ने बताया, “हमारे यहां कोई जिम्नेजियम नहीं है, न कोई स्पोर्ट्स क्लब। यहां प्रशिक्षण की कोई सुविधा नहीं है। फैजल सर हमें ग्राउंड में ले जाते हैं और प्रशिक्षित करते हैं।”

फैजल अली तजामुल के 26 वर्षीय कोच हैं। वह कहते हैं, “विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए कश्मीर को सुविधाओं की जरूरत है। हमारे यहां कई युवा एथलीट्स हैं जो देश के लिए पदक ला सकते हैं यदि हमारे पास जिम्नेजियम, स्टेडियम तथा खेलों संबंधी सुविधाएं हों। घाटी में पत्थरबाजी जोरों पर थी तब अली तजामुल के घर उसे तथा उसके अन्य भाई-बहनों को प्रशिक्षित करने गए ताकि उसकी तैयारी में कोई बाधा न आए। उसके पिता गुलाम मोहम्मद लोन, जो एक प्राइवेट कम्पनी में ड्राइवर हैं, गुजारा चलाने के लिए वह अतिरिक्त घंटे काम करते हैं। महीनों से चल रहे अशांत माहौल के चलते उनके घर पर आर्थिक संकट आ गया है।”

गुलाम मोहम्मद बताते हैं, “मैं 15 हजार रुपए से कम प्रति माह कमाता हूं। यह सिर्फ सात जनों के परिवार के लिए पर्याप्त है परंतु चूंकि अली कहते हैं कि तजामुल बहुत प्रतिभाशाली है इसलिए हमने उनके प्रशिक्षण के लिए कुछ पैसा अलग से रखना शुरू कर दिया। उसके भाई-बहन भी इसके साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।”

जब राष्ट्रीय राइफल्स की 14वीं बटालियन ने उनके पास पैसे की कमी की बात सुनी तो मेजर रघु नामक एक युवक कम्पनी कमांडर आगे आए। गुलाम मोहम्मद बताते हैं, “रघु सर तथा कमांडिंग आफिसर बहुत मददगार हैं। उन्होनें देखा है कि तजामुल कितनी प्रतिभाशाली थी। सेना ने न सिर्फ उसकी स्कुल फीस भरी बल्कि उसके प्रशिक्षण के लिए भी पैसा दिया। साथ ही इटली की एयर टिकटों का खर्चा उठाया। मैं उनका बहुत आभारी हूं।”

फैजल अली कहते हैं, “हमारी अकादमी में विभिन्न खेलों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के इच्छुक 3 हजार के लगभग लड़के-लड़कियां हैं। दुर्भाग्य से हमारे पास फंड तथा सुविधाओं की कमी है। हमें आशा है कि तजामुल की सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का ध्यान खींचेगी।” अब अली का उद्देश्य तजामुल को ओलिम्पिक के लिए प्रशिक्षित करना है। वह कहते हैं, “वह फुर्तीली तथा जीतने की इच्छा रखने वाली लड़की है। हम एक ओलिम्पिक खेल चुनेंगे और उसके प्रशिक्षण की तैयारी करेंगे।” तजामुल के परिवार को आशा है कि उसकी सफलता से घाटी में युवाओं को खेलों में आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।

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