Hindi Short Story About Birthday Celebration मनु की मुस्कान

Hindi Short Story About Birthday Celebration मनु की मुस्कान

“मनस्वी…मनस्वी…मनु!” यद्दपि उसका नाम मनस्वी है लेकिन घर के लोग प्रायः उसे मनु ही कहते हैं। तभी मनु की मम्मी ने फिर आवाज लगाई। “मनु बेटी जरा इधर आओ।” मनु ने भी जल्दी से पास आकर कहा, “जी, मम्मी जी। मनु तुम अभी तक तैयार नहीं हो? जाओ दादी जी से तैयार होकर आओ। देखो देर न लगाना, थोड़ी देर में सभी मेहमान आने वाले हैं।”

आज मनु का जन्मदिन है। इसी कारण घर में सभी लोग तैयारियों में लगे हैं। सुबह जब मनु स्कूल पहुँची कक्षा सभी बच्चों – मैडम ने भी उसे ‘हैप्पी बर्थडे’ कह कर बधाई दी। मनु ने भी साथियों को टाफियां बांटी। आज मनु बहुत खुश लग रही थी, लेकिन वह अपने पापा जी से थोड़ी नाराज भी थी क्योंकि उसके पापा अभी तक नहीं आए थे। उसके पापा शहर से दूर किसी अन्य शहर में शाखा प्रबंधक थे। व्यस्तता के कारण वह जन्मदिन वाले दिन ही आ रहे थे।

स्कूल से लौटते ही मनु के दादा जी एवं दादी जी उसे मनाने में लगे थे, लेकिन उसका कहना था कि वह अपने पापा से बात नहीं करेगी क्योंकि उन्हें मनु की फिक्र नहीं है। सारा घर सुंदर लग रहा था। हॉल के बीच में बड़ी-सी सुंदर टेबल पर केक सजा हुआ था, आस-पास गुब्बारे, फुल आदि भी लगे थे। बस मनु के पापा जी के आने की देर थी।

तभी नीचे से कार का हार्न सुनाई दिया जिसे सबसे पहले मनु ने ही पहचाना क्योंकि उसके पापा कभी-कभी एक विशेष हार्न बजाते थे। मनु जल्दी से दौड़कर बालकनी में गई पर नाराजगी के कारण पापा को लेने नीचे नहीं गई लेकिन कार देखते ही वह चहक उठी थी, उसके पापा ने कार के ऊपर बड़ा-सा गुब्बारों का गुच्छा लगा रखा था और हाथों में ढ़ेर सारे उपहार थे। सब चीजें लेकर वह ऊपर ही आ रहे थे। आते ही उन्होंने मनु लो गोद में उठा कर प्यार किया और उपहार सौंप दिए।

पापा का प्यार पाकर मनु की मुस्कान लौट आई, शीघ्र ही उसने पापा जी के साथ मिलकर केक काटा। सभी मेहमानों ने उसके लिए बर्थडे धुन गाए। मनु की दादी जी ने भी एक गीत गाया। दादी जी के साथ उसने गुब्बारे फोड़े। सभी ने मनु को अनेक उपहार दिए। मनु भी अब दौड़ कर सभी को केक, मिठाई आदि दे रही थी। इस अवसर पर उसके पापा ने सभी के साथ मनु की सुंदर-सुंदर फोटो खींची। वह कविताएं भी सुना रही थी और डांस भी कर रही थी। हर फोटो के साथ मनु की मुस्कान बढ़ती जा रही थी। यह मधुर मुस्कान देख सभी के चेहरे खिल रहे थे।

शशि शेखर त्रिपाठी

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