दिवाली की सच्ची रोशनी: पुराने समय की बात है। महीप नगर में रतनचंद और माणिकदत्त नामक दो व्यापारी रहते थे। दोनों ही नगर के सबसे अमीर व्यक्ति थे। वहां के राजा महीपाल बड़े ही न्यायप्रिय एवं प्रजा बत्सल थे। राजा को तरह-तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित करने का विशेष शौक था। एक बार दिवाली के समय उन्होंने घोषणा करवाई कि दिवाली …
Read More »दिवाली के दिए: दिल छू लेने वाली कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए
दिवाली के दिए: पखवाड़े बाद दिवाली थी। सारा शहर दीवाली के स्वागत में रोशनी से झिलमिला रहा था। कहीं चीनी मिटटी के बर्तन बिक रहे थे तो कहीं मिठाई की दुकानो से आने वाली मन भावन सुगंध लालायित कर रही थी। दिवाली के दिए उसका दिल दुकान में घुसने का कर रहा था और मस्तिष्क तंग जेब के यथार्थ का बोध …
Read More »बिट्टू की दिवाली: प्रेरणादायक हिंदी बाल-कहानी
बिट्टू की दिवाली: प्रेरणादायक हिंदी बाल-कहानी – बहुत सारे पटाखे, मिठाई और नए नए कपड़े चाहिए मुझे इस दिवाली पर… कहता हुआ नन्हा बिट्टू पैर पटककर माँ के सामने जमीन पर ही लोट गया। उसकी मम्मी ने अपनी हँसी को दबाते हुए कहा – “हाँ – हाँ, सब ले आयेंगे”। यह सुनकर बिट्टू बड़े ही लाड़ से माँ के गले में …
Read More »पेड़ों की रक्षा: खेजड़ी का पेड़ – रेगिस्तान का गौरव व राजस्थान का कल्पवृक्ष
पेड़ों की रक्षा: गगन के घर के पास खेजड़ी का एक विशाल वृक्ष था, जिसे उसके दादाजी ने उसके पिताजी के जन्म पर लगाया था। खेजड़ी का यह पौधा वह अपने गांव से लाए थे और कहते थे कि यह बहुत ही अमूल्य पेड़ है। इसे बचाने के लिए अमृता देवी ने खेजड़ी के साथ कट कर प्राण दे दिए …
Read More »ईमानदारी का सबक: ईमानदार गरीब ठेले वाले की प्रेरणादायक बाल-कहानी
ईमानदारी का सबक: गिरधारी चाचा हमारे विद्यालय की बगल में ही चाट-पकौड़ी का ठेला लगाते थे जिस पर वह गर्मा-गर्म पूरियां, छोले, गोलगप्पे और चाट बेचते जिनकी प्रसिद्धि बहुत दूर-दूर तक थी। वह सुबह उठकर ठेला लगाते थे। उनके ठेला लगाने भर की बस देर होती, ग्राहक उन्हें चीटियों की मानिद घेर लेते। हमारे स्कूल के नजदीक ही बस स्टैंड …
Read More »संकल्प: हिंदुस्तान के सैनिक की बहादुर बेटी के दृड़ निश्चय पर शिक्षाप्रद कहानी
संकल्प: नेहा की आयु 5 वर्ष थी। एक दिन जब स्कूल में Parent-Teacher meeting हुई तो किसी कारण उसकी मम्मी स्कूल न आ पाईं। नेहा को मन ही मन मम्मी पर गुस्सा आ रहा था। आखिर स्कूल में छुट्टी हुई तो नेहा सीधी घर आई। जब वह कमरे में आई तो देखा कि उसकौ मम्मी बिस्तर पर पड़ी हैं और …
Read More »हैप्पी टीचर्स डे: डॉ. मंजरी शुक्ला – दिल को छू लेने वाली हिंदी बाल-कहानी
आज जब रोहित स्कूल के लिए निकला तो उसे घर के सामने वाली सड़क पर उसी की उम्र का बच्चा फूल बेचते हुए दिखा। रोहित को लगा कि उसने उस लड़के को पहले भी कहीं देखा है। वह बहुत गौर से उसे देखने लगा पर बहुत याद करने पर भी उसे कुछ याद नहीं आया। कई बार रोहित सड़क पर …
Read More »गुल्लक: दिल को छू लेने वाली बाल-कहानी
गुल्लक: कानू चाचा ठेले पर इमली की लाल चटनी बेचा करते थे। उनके ठेले पर कच्चे आम के टुकड़े भी बिकते, जिसमें लाल मिर्च डाल कर कानू चाचा हमें देते थे। उस समय आज की तरह चीजें महंगी नहीं हुआ करती थीं। चवन्नी या अठन्नी ही हमें रोज घर से मिला करती थी। कानू चाचा पुराने पीपल के पेड़ के …
Read More »राखी: रक्षा और बंधन का संगम है रक्षाबंधन
जब भी राखी का त्यौहार आता था, मुन्नी का दिल भर आता था। वह दिन भर घर के अंदर और बाहर चक्कर लगाया करती थी कि शायद उसका भाई लौट आये। पर एक राखी के बाद दूसरी और फिर तीसरी और फ़िर बहुत सारी राखी आई पर उसका भाई नहीं आया। आज राखी थी और हर साल की तरह मुन्नी …
Read More »नई सीख: दिल को भावुक कर देने वाली कहानी
“जब तुम्हारे सारे दोस्त फ़ीस जमा कर रहे थे तब तुम कहाँ थे?” मिश्रा सर ने अंकुर से गुस्से से पूछा। “मैं भूल गया था सर” अंकुर ने ज़मीन की ओर ताकते हुए कहा। “और जब आज फ़ीस भरने की आख़िरी तारीख़ है तो तुम मेरा हिंदी का पीरियड छोड़कर फ़ीस भरने ऑफ़िस जाना चाहते हो” सर की आवाज़ अब …
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