छोटे बच्चों की हास्यप्रद कहानी: बरगद का चश्मा

छोटे बच्चों की हास्यप्रद कहानी: बरगद का चश्मा

फूलों से लदे हुए जंगल में चारों तरफ़ रंगबिरंगी तितलियाँ उड़ रही थी। भौरें गुनगुना रहे थे और चारों तरफ़ ठंडी ठंडी हवा बह रही थी।

सभी बहुत खुश थे पर अगर कोई उदास था तो वह था बरगद का पेड़।

और उसकी इस उदासी का कारण था उसका सबसे अच्छा दोस्त बादल।

अब ये भी सोचने की बात है कि कहाँ आसमान में रहने वाला, हवाओं के साथ झूमने वाला वर्षा की बूंदों के साथ भीगने वाला नरम मुलायम नन्हा बादल और कहाँ घने जंगल के बीच में अपनी बड़ी बड़ी जटाओं के साथ शान से खड़ा हुआ विशाल बरगद का पेड़!

उन दोनों की दोस्ती सभी के लिए एक मिसाल थी और जंगल के सभी पशु पक्षी उनकी दोस्ती देखकर बहुत खुश होते थे, और होते भी क्यों ना… जब भी बादल उनके जंगल में अपने दोस्त बरगद से मिलने आता था तो पलटू खरगोश, चिंकी गिलहरी, सुरीली कोयल, निन्नी मैना, पलटू बन्दर का डेरा तो बरगद के पेड़ पर ही जमा रहता था।

कुछ दिनों से दो नए प्राणी इस पेड़ पर आए तो मेहमान बनकर आये थे पर वे बरगद के दोस्त बनकर वहीं एडजस्ट हो गए।

ये दो दोस्त थे उलटू चमगादड़ और अनोखे उल्लू।

पलटू तो उलटू का नाम सुनकर ही इतना खुश हो गया था कि उसने तुरंत उलटू को उस पेड़ पर उल्टा लटकने के लिए रोक दिया था। उलटू के कारण ही अनोखे को भी वहाँ रुकना पड़ा क्योंकि रात में जब झींगुरों की आवाज़ें आती तो अनोखे को बहुत डर लगता। और तब सारी रात जागकर ढेर सारे किस्से कहानियाँ सुनाने वाला उसका दोस्त उलटू ही तो था।

बरगद के पेड़ के अलावा भी जो पशु पक्षी जंगल में रहते थे, वे सभी दिन भर उसी पेड़ के आसपास ही चक्कर काटा करते थे।

झबरु भालू चिंकी का दोस्त था तो गिन्नू हिरन निन्नी का, पलटू को तो सभी प्यार करते थे।

आम के मौसम में वह अपने दोस्तों के साथ पेड़ों पर चढ़ जाता और ज़मीन पर फेंक फेंककर रसभरे पीले आमों के ढेर चुटकियों में ही लगा देता।

इसी तरह से सबके दिन हँसी ख़ुशी बीत रहे थे कि तभी एक दिन सबने एक ख़बर सुनी।

किसी को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ और सब दौड़ पड़े सीधे बरगद के पेड़ की तरफ़।

देखते ही देखते बरगद के चारों ओर सभी पशु पक्षी इकठ्ठा हो गए। सभी आपस में खुसुर पुसुर कर रहे थे।

पलटू बरगद का सबसे ख़ास दोस्त था इसलिए सबने उससे ही इशारे से बरगद से पूछने के लिए कहा।

पलटू एक डाल से दूसरी डाल पर कूदता रहा पर बरगद से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पाया।

तभी बरगद रुंधे गले से बोला – “बादल मुझसे लड़ाई करके चला गया है”।

निन्नी ने फुदकते हुए बरगद के पास आकर पूछा – “पर उसने लड़ाई करी क्यों”?

“वह मुझे एक कहानी सुना रहा था और वह कहानी इतनी बेकार थी कि मैं सो गया”। बरगद ने जवाब दिया

उसकी बात सुनकर ना चाहते हुए भी पलटू की हँसी निकल गई और वह बोला – “लो, भला ये भी कोई बात हुई, पहले तो रद्दी सद्दी कहानी सुनाओ और जब कोई बोर होकर सो जाए तो लड़ाई कर लो”।

“हाँ… बिलकुल सही बात है, एक मेरा दोस्त उलटू है, रात भर उल्टा लटका रहता है, पर कितनी मजेदार कहानियाँ सुनाता है” अनोखे अपने कोटर के अंदर से ही बोला।

सभी पलटू की बात में हाँ में हाँ मिलाते हुए बादल को भला बुरा कह रहे थे।

पर बरगद अपने दोस्त बादल के नाराज़ होने से बहुत दुखी था और उससे भी ज़्यादा दुखी था बादल…

गुस्से में वह कह तो आया था कि अब वह कभी भी जंगल के ऊपर ना तो बरसेगा और ना ही बरगद से बात करेगा।

पर कुछ घंटे भी नहीं बीते थे कि उसे बरगद की याद सताने लगी थी।

बादल को भी पता चल गया था कि गलती बरगद की नहीं थी बल्कि उसकी कहानी सच में बिलकुल बेकार थी।

वरना गुलाबी बादल, काला बादल और यहाँ तक की नीलू बादल भी भाग गया जो बहुत बोरिंग कहानी भी बड़े ध्यान से सुनता था।

पर बादल ने सोचा कि अगर वह बरगद से पहले बात करने गया तो सब उस पर हँसेंगे इसलिए उसने अपना रास्ता बदळ लिया और जंगल की तरफ़ से निकलना छोड़ दिया।

बादल ने जंगल में बरसना बंद कर दिया तो सभी पशु पक्षी परेशान हो गए।

उन्हें अब बहुत दूर नदी तक पानी पीने के लिए जाना पड़ता था।

पर बेचारा बरगद क्या करता! उसकी धीरे धीरे पत्तियाँ सूखने लगी और उसकी आँखें भी कमजोर होने लगी।

एक दिन सुरीली बरगद से बोली – “पहले तो तुम हम सबको देखकर हमेशा मुस्कुराया करते थे पर आजकल हमें देखकर भी अनदेखा कर देते हो”?

“नहीं, नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वो अब मेरा दोस्त बादल मेरे ऊपर आकर पानी नहीं बरसाता ना, तो मुझे धुंधला दिखाई देने लगा है”।

पलटू बोला – “अरे तो तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मैंने आज ही नदी के पास एक चश्मा पड़ा हुआ देखा था। शायद कोई जंगल घूमने आया होगा और यहीं पर भूलकर चला गया”।

“सच…” बरगद खुश होते हुए बोला।

“और क्या, मैं बस अभी लेकर आता हूँ” कहते हुए पलटू गुलाटियाँ खाते हुए एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदा और कुछ ही देर बाद एक लाल रंग के फ़्रेम का चश्मा लेकर आ गया।

बरगद बोला – “लाओ, जल्दी पहनाओ। मुझे अब तो सब साफ़ साफ़ दिखने लगेगा”।

पलटू ने तुरंत बरगद को चश्मा पहना दिया।

चश्मा पहनते ही बरगद को पलटू एक बहुत बड़े राक्षस के बराबर दिखने लगा और डर के मारे उसकी चीख निकल गई।

पलटू डर के मारे काँप उठा।

सुरीली अपनी महीन आवाज़ में बोली – “अरे तुम लोगो को इतना भी नहीं पता कि सबके चश्मे का नंबर अलग होता है। बरगद की आँखें ज़्यादा खराब है तभी तो इसे इस चश्मे से पलटू इतना बड़ा दिख रहा है”।

वे सब आपस में बातें कर ही रहे थे कि बादल अपने दोस्त नीलू बादल के साथ जंगल के ऊपर से गुज़रा।

नीलू बरगद को देखते हुए बोला-“अरे वो देखो, तुम्हारे दोस्त बरगद को तो चश्मा लग गया है। अब देखो, मैं इतनी जोर से बरसूँगा कि उसका चश्मा बिलकुल धुँधला हो जाएगा और उसे कुछ भी दिखाई नहीं देगा”।

“नहीं, नहीं, ऐसा मत करो… कहते हुए जब तक बादल उसे रोकने की कोशिश करता, नीलू बादल ने बरसना शुरू कर दिया।

और वो भी यहाँ वहाँ नहीं बल्कि ठीक बरगद के ऊपर…

इतने दिनों से प्यासा बरगद, वर्षा की ठंडी फुहार से ख़ुशी से झूम उठा।

सूखी पत्तियों में जैसे जान आ गई। वे सब हँसते हुए चमकने लगी।

पानी की तेज बौछार से बरगद का चश्मा भी सरककर ज़मीन पर गिर पड़ा।

बरगद के ऊपर उड़ता हुआ नीलू बादल जब जी भरकर बरस लिया तो उसने बरगद की तरफ़ देखा।

बरगद ने इधर उधर देखा और ख़ुशी से चिल्लाया – “अरे वाह…पानी के कारण मैं फिर से हरा भरा हो गया और मुझे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई देने लगा”।

बरगद ने देखा कि उसका दोस्त बादल नीलू के बगल में चुपचाप खड़ा है।

बरगद की आँखों में ख़ुशी के आँसूं आ गए।

वह बोला – “तुम मेरे सच्चे दोस्त हो, आज तुम नीलू बादल के साथ इसीलिए आये ना कि मुझ पर ढेर सारी बारिश हो सके और मैं पहले की तरह हरा भरा हो जाऊँ”।

“नहीं… नीलू बादल खुद ही बरसा है। मैं तो तुमसे नाराज़ था ना…” बादल धीरे से बोला।

बरगद बोला – “अच्छा अब तुम मुझे कैसी भी कहानी सुनाओगे, मैं बिलकुल नहीं सोऊँगा”।

“सच… मैं अभी सुनाता हूँ। बहुत सारी कहानियाँ इकट्ठी हो गई है, अब तो मेरे पास” बादल ख़ुशी ख़ुशी बोला।

सुरीली ने पलटू की ओर देखा और पलटू ने सुरीली की तरफ़…

सुरीली फ़ुर्र से उड़ गई और पलटू ने तुरंत जंगल के अंदर की ओर सरपट दौड़ लगा दी।

कोटर के अंदर बैठे अनोखे ने अपने कान बंद कर लिए और बोला – “हाँ… सुनाओ कहानी… बहुत दिनों से हम सब तुम्हारा ही रास्ता देख रहे थे।

बरगद मुस्कुरा उठा और बादल ने कहानी सुनानी शुरू कर दी। कोई नहीं जान पाया कि नीलू बादल भी कहानी शुरू होते ही वहाँ से सिर पर पैर रहकर भाग लिया था।

डॉ. मंजरी शुक्ला

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