Rabindranath Tagore

रविन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

रविन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

  • विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।
  • समय परिवर्तन का धन है। परन्तु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं।
  • मनुष्य जीवन महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है।
  • जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़ियाँ को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।
  • हमारा मन पोथियों के ढेर में और शरीर असबाब से दब गया है, जिससे हमें आत्मा के दरवाजे-जंगले दिखाई नहीं देते।
  • मैं तुझसे आकाश, प्रकाश, मन, प्राण किसी की भिक्षा नहीं मांगता। केवल यही चाहता हूँ कि मुझे प्रतिदिन लालसाओं से बचने योग्य बना दे, यही मेरे लिए तेरा महादान होगा।
  • सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है। यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है।
  • आयु सोचती है, जवानी करती है।
  • कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं।
  • पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।
  • मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
  • मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
  • किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।
  • मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।
  • हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है।

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