वही बोलें – संतोष यादव ‘अर्श’

सियासत के किले हरदम बनाते हैं, वही बोलें
जो हर मसले पे कुछ न कुछ बताते हैं, वही बोलें।

बचत के मामले में पूछते हो हम गरीबों से?
विदेशी बैंकों में जिनके खाते हैं, वही बोलें।

लगाई आग किसने बस्तियों में, किसने घर फूंके
दिखावे में जो ये शोले बुझाते हैं, वही बोलें।

मुसव्विर मैं तेरी तस्वीर की बोली लगाऊं क्या
जो अपनी चिकनी दीवारें सजाते हैं, वही बोलें।

विधायक ने क्यूं लूटी है दलित लड़की की अस्मत कल
जो उसके दम पे सरकारें चलाते हैं, वही बोलें।

मेरे बच्चे की आंते भूख से चिपकीं तो क्यूं चिपकीं
बड़ी संसद में आवाज़ें उठाते हैं, वही बोलें।

∼ संतोष यादव ‘अर्श’

About Santosh Yadav Arsh

संतोष यादव ‘अर्श’ (जन्म: लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत) हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। ये जितने समर्थ कवि हैं उतने ही समर्थ उपन्यासकार और कहानीकार भी। गीत, नई कविता, छोटी कविता, लंबी कविता यानी कि कविता की कई शैलियों में उनकी सर्जनात्मक प्रतिभा ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ अपनी सार्थक उपस्थिति रेखांकित की। इसके अतिरक्त उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रावृत्तांत, डायरी, निबंध आदि सभी विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है।

Check Also

BINU DANCE OF BAHAG BIHU

Bohag Bihu Festival Information: Assam Festival Rongali Bihu

Bohag Bihu Festival Information: The Rongali Bihu is the most important among all the three …