दोस्ती के नाम एक कविता: सब दोस्त थकने लगे है

दोस्ती के नाम एक कविता: सब दोस्त थकने लगे है

यूं तो रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे कई दोस्त होते हैं, जिनमें कुछ खास, तो कुछ आम होते हैं। दोस्ती भी सबसे अलग-अलग होती है। कभी सिर्फ हाय-हैलो, कभी काम चलाउ, कभी खट्टी-मीठी नमकीन, तो कभी सतरंगी रंगों से सजी दुनिया सी…।

सब दोस्त थकने लगे है: खूबसूरत कविता दोस्ती के नाम

साथ-साथ जो खेले थे बचपन में,
वो सब दोस्त अब थकने लगे है,
किसी का पेट निकल आया है,
किसी के बाल पकने लगे है।

सब पर भारी ज़िम्मेदारी है,
सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है,
दिनभर जो भागते दौड़ते थे,
वो अब चलते चलते भी रुकने लगे है,
उफ़ क्या क़यामत हैं,
सब दोस्त थकने लगे है।

किसी को लोन की फ़िक्र है,
कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है,
फुर्सत की सब को कमी है,
आँखों में अजीब सी नमीं है।

कल जो प्यार के ख़त लिखते थे,
आज बीमे के फार्म भरने में लगे है,
उफ़ क्या क़यामत हैं,
सब दोस्त थकने लगे है।

देख कर पुरानी तस्वीरें,
आज जी भर आता है,
क्या अजीब शै है ये वक़्त भी,
किस तरहा ये गुज़र जाता है,
कल का जवान दोस्त मेरा,
आज अधेड़ नज़र आता है।

कल के ख़्वाब सजाते थे जो कभी,
आज गुज़रे दिनों में खोने लगे है,
उफ़ क्या क़यामत हैं,
सब दोस्त थकने लगे है।

~ व्हात्सप्प से ली गयी

दोस्ती, उस गठरी के समान होती है जिसमें बंधी होती है ढेर सारी बातें, गहरे रिश्ते और खूबसूरत अहसास। इस गठरी को तुरंत खोलना चाहिए। वरना वे बातें, जो तह कर रखी हैं, वे रिश्ते, जो सिलवटों से भर गए हैं, और वे अहसास, जो गुड़-मुड़ हो गए हैं, उसमें ही गल सकते हैं, फट सकते हैं, सड़ सकते हैं। इस गठरी को मिलन सूर्य की गुनगुनी धूप में खोल कर फैलाया जाए। जैसे ही नमी दूर होगी खिल उठेगीं ढेर सारी बातें, रिश्ते और अहसास।

Washington Irving (American short story writer, essayist, biographer, historian, and diplomat of the early 19th century) ने कहा है – सच्ची दोस्ती कभी व्यर्थ नहीं जाती, यदि उसे प्रतिदान नहीं मिलता तो वह लौट आती है और दिल को कोमल और पवित्र बनाती है।

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