कौन जाने – बालकृष्ण राव

झुक रही है भूमि बायीं ओर‚ फिर भी
कौन जाने‚
नियति की आँखें बचाकर‚
आज धारा दाहिने बह जाए!

जाने
किस किरण–शर के वरद आघात से
निर्वर्ण रेखाचित्र यह बीती निशा का
रँग उठे कब‚ मुखर हो कब
मूक क्या कह जाए!

‘संभव क्या नहीं है आज?’
लोहित लेखनी प्राची क्षितिज की
कर रही है प्रेरणा या प्रश्न अंकित?

कौन जाने
आज ही निःशेष हों सारे
सँजोए स्वप्न
दिन की सिद्धियों में–
या कहीं अवशिष्ट फिर भी
एक नूतन स्वप्न की संभावना रह जाए!

∼ बालकृष्ण राव

About Balkrishna Rao

बालकृष्ण राव (जन्म 1913, निधन 1976) हिन्दी के कवि एवं संपादक थें। ये हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद (प्रयाग) की पत्रिका ’माध्यम’ के पहले सम्पादक बने एवं भारत सरकार के आकाशवाणी विभाग में रहकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए। इनकी अनेक आलोचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। 1953 में ’कवि-भारती’ पत्रिका के सह सम्पादक रहे। बाद में अमृतराय के साथ मिलकर ’हंस’ का भी सम्पादन किया। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के अध्यक्ष रहे।

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