जब मिलेगी रोशनी मुझसे मिलेगी: रामावतार त्यागी

जब मिलेगी रोशनी मुझसे मिलेगी: रामावतार त्यागी

इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ;
मत बुझाओ!
जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी…

पाँव तो मेरे थकन ने छील डाले
अब विचारों के सहारे चल रहा हूँ,
आँसूओं से जन्म दे-देकर हँसी को
एक मंदिर के दिए-सा जल रहा हूँ;
मैं जहाँ धर दूँ कदम वह राजपथ है,
मत मिटाओ!
पाँव मेरे, देखकर दुनिया चलेगी…

बेबसी मेरे अधर इतने न खोलो
जो कि अपना मोल बतलाता फिरूँ मैं,
इस कदर नफ़रत न बरसाओ नयन से
प्यार को हर गाँव दफनाता फिरूँ मैं;
एक अंगारा गरम मैं ही बचा हूँ,
मत बुझाओ!
जब जलेगी, आरती मुझसे जलेगी…

जी रहे हो किस कला का नाम लेकर
कुछ पता भी है कि वह कैसे बची है,
सभ्यता की जिस अटारी पर खड़े हो
वह हमीं बदनाम लोगों ने रची है;
मैं बहारों का अकेला वंशधर हूँ,
मत सुखाओ!
मैं खिलूँगा, तब नई बगिया खिलेगी…

शाम ने सबके मुखों पर आग मल दी
मैं जला हूँ, तो सुबह लाकर बुझूंगा,
ज़िन्दगी सारी गुनाहों में बिताकर
जब मरूँगा देवता बनकर पुजूँगा;
आँसूओं को देखकर मेरी हँसी तुम,
मत उड़ाओ!
मैं न रोऊँ, तो शिला कैसे गलेगी…

रामावतार त्यागी

आपको रामावतार त्यागी जी की यह कविता “जब मिलेगी रोशनी मुझसे मिलेगी” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

World Veterinary Day: History, Celebration, Theme, FAQs

World Veterinary Day: History, Celebration, Theme, FAQs

The World Veterinary Day is commemmorated to honour the veterinary profession every year on the …