The Jungle's Law

जंगल का न्याय

त्रिपुरा के जंगलों में एक शूकरी रहती थी। अपने बच्चों के साथ, शूकरी ख़ुशी – ख़ुशी दिन बिता रही थी। एक दिन जंगल में अपने बच्चों के लिए भोजन ढूंढते हुए, उसने एक बाघ के बच्चे को रोते हुए देखा। जब उसे इस शावक की माँ कहीं नही मिली तो उसने अंदाजा लगाया कि माँ को शिकारियों ने मार डाला होगा। शूकरी को शावक पर दया आ गई और उसने सोचा, ‘इस अनाथ बच्चे को ऐसी हालत में अकेला कैसे छोड़ दूँ। आखिर मैं भी माँ हूँ। मै इस बच्चे को अपने साथ ले जाउंगी और इसका लालन – पालन भी करूंगी।’

शूकरी बहुत यत्न से अपने बच्चों के साथ – साथ, बाघ के बच्चे का भी ध्यान रखने लगी। बाघ का बच्चा उस सूअर परिवार का ही सदस्य हो गया था। वह और शूकरी के बच्चे इकट्ठा खेलते, घुमते और सोते थे। इसी तरह दिन बीत रहे थे।

एक दिन शूकरी चल बसी। बाघ का बच्चा अब बड़ा हो चूका था और शूकरी के बच्चे भी बड़े – बड़े, मोटे – ताजे हो चुके थे। बाघ स्वभाव से मांसाहारी होता है। धीरे – धीरे इस बाघ में भी मांस खाने की इच्छा जागृत हुई। सुअरों का मांस खाने के लिए उसका मन ललचाने लगा। सीधा हमला कर देने में बदनामी होने का डर था – आखिर वे सब साथ – साथ पले – बड़े थे। इसलिए बाघ ने एक योजना बनाई।

एक दिन वह एक सूअर से बोला, “भाई मेरे, कल रात मुझे एक सपना आया। सपने में मैंने देखा कि मै तुम्हे खा रहा हूँ। सपने का निरादर करना पाप है। इसलिए मैंने निर्णय किया है कि तुम्हे मारकर तुम्हारा मांस खाऊंगा। मरने से पहले तुम्हारी जो भी अंतिम इच्छा हो सो मुझसे कहो, मै उसे अवश्य पूरा करूँगा।”

सूअर ने बाघ को लाख समझाया कि सपनों का यथार्थ से कुछ भी लेना – देना नही। पर बाघ तो पक्का बाघ हो चूका था, नही माना। तब तक सूअर को भी समझ आ गया था कि बाघ के पंजों से छूटना बहुत कठिन है। हारकर सूअर बोला, “अगर तुमने मुझे मार डाला तो बाकी सूअर तुम्हारी पोल खोल देंगे। मेरे खयाल में यदि कम – से -कम तीन जानवर मुझे मारने का तुम्हारा तर्क मान ले तो बेहतर होगा।”

Tiger and the pig

बाघ ने सूअर कि बात मान ली।

दोनों ने सबसे पहले बंदर के पास जाकर उसे सारी कहानी सुनाई। बंदर ने बाघ के प्रस्ताव का समर्थन कर दिया। फिर दोनों मुर्गी के पास गए। उसने भी बाघ की तरफदारी की। बाघ की ख़ुशी का तो ठिकाना नही रहा लेकिन सूअर बहुत निराश हुआ।

आखिर, दोनों एक चमगादड़ के पास गए। पूरी बात सुनते ही उसे बाघ का इरादा समझ आ गया।

फिर भी, वह बोला तो कुछ नही सिवाए इसके कि ‘मामला तो बहुत पेचीदा है। मेरी राय में सही निर्णय के लिए तुम दोनों राजा के पास जाओ।’ उसने उनसे यह भी कहा कि मामले की सुनवाई के वक्त वह दरबार में मौजूद रहेगा। बाघ और सूअर दरबार में उपस्थित हुए और राजा को सारी कथा सुना दी।

Check Also

World Veterinary Day: Celebration, Theme

World Veterinary Day: History, Celebration, Theme, FAQs

The World Veterinary Day is commemmorated to honour the veterinary profession every year on the …