Prem Mathur

जन्म सात दशकों पहले अजमेर राजस्थान में वही बड़ा हुआ, पढ़ा। फिर दिल्ली में एम. ए. अंग्रेज़ी में और वहीं अध्यापन। फिर विदेशों में। ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाने के बाद अवकाश से रह रहा हूँ। लिखने पढने का शौक किशेरावस्था से ही रहा। प्रकाशन केवल स्कूल कॉलेज की पत्रिकाओं में ही। अभी कुछ वर्षों से अन्तरजाल पर: अनूभूति व इन्डियनओजेड पर। कभी यह नहीं लगा कि मैं कवि हूँ इसीलिए प्रकाशन का विचार आया भी तो त्याग दिया। अब फुरसत के क्षणों में सोचता हूँ कि प्रकाशन के विभिन्न माध्यमों से अपनी अनुभूतियों को पढ़ने का अवसर तो दूँ शायद कहीं किसी के मन का तार झंकृत हो। E-mail: gemmathur@hotmail.com

जश्न नए साल का: प्रेम माथुर

New Year Celebration Motivational Hindi Poem जश्न नए साल का

जाम पे जाम कभी किसी के कभी किसी के नाम आज नए साल के नाम। पुराने साल के अवसान का गम या नए साल की खुशी जाम पे जाम चलते रहें आइटम नंबर होते रहें मस्त-मस्त मदहोश हम होते रहें। जश्न पे जश्न सच्चाई भुलाने के काम नई आशाएँ नया साल लाता नहीं हम देते हैं भुलावे अपने आप को …

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