Manohar Lal Ratnam

जन्म: 14 मई 1948 में मेरठ में; कार्यक्षेत्र: स्वतंत्र लेखन एवं काव्य मंचों पर काव्य पाठ; प्रकाशित कृतियाँ: 'जलती नारी' (कविता संग्रह), 'जय घोष' (काव्य संग्रह), 'गीतों का पानी' (काव्य संग्रह), 'कुछ मैं भी कह दूँ', 'बिरादरी की नाक', 'ईमेल-फ़ीमेल', 'अनेकता में एकता', 'ज़िन्दा रावण बहुत पड़े हैं' इत्यादि; सम्मान: 'शोभना अवार्ड', 'सतीशराज पुष्करणा अवार्ड', 'साहित्य श्री', 'साहित्यभूषण', 'पद्याकार', 'काव्य श्री' इत्यादि

देश किन्नरों को दे दो – मनोहर लाल ‘रत्नम’

देश नारों से घिरा, मैं हर सितम को सह रहा हूँ, आँख के आंसू मैं देखो अब खडा मैं बह रहा हूँ। और अत्त्याचार मुझसे देश मैं देखे न जाएं– आज शिव सा ही गरल मैं पान करके कह रहा हूँ॥ भावना बैठी कहाँ है आप भी मन को कुरेदो। आप के बस का ना हो तो, देश किन्नरों को …

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कील पुरानी है – मनोहर लाल ‘रत्नम’

नये साल का टँगा कलेण्डर कील पुरानी है। कीलों से ही रोज यहाँ होती मनमानी है॥ सूरज आता रोज यहाँ पर लिए उजालों को। अपने आँचल रात समेटे, सब घोटालों को। बचपन ही हत्या होती है, वहशी लोग हुए। और अस्थियाँ अर्पित होती गन्दे नालों को। इन कीलों पर पीड़ा ही बस आनी जानी है। नये साल का टँगा कलेण्डर …

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गंगाजल – मनोहर लाल ‘रत्नम’

गंगाजल अंजलि में भरकर, सूरज का मुख धुलवायें। घना कुहासा, गहन अँधेरा, नया सवेरा ले आयें।। देश मेरे में बरसों से ही, नदी आग की बहती है। खून की धरा से हो लथपथ, धरती ही दुख सहती है। शमशानों के बिना धरा पर, जलती है कितनी लाशें हर मानव के मन में दबी सी, कुछ तो पीड़ा रहती है। अब …

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