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निर्वाण षटकम् – आदि शंकराचार्य

मनोबुद्धय्हंकार चित्तानि नाहं श्रोत्रजिव्हे न च घ्राणनेत्रे न च व्योमभूमिर्न तेजो न वायुः चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम ॥1॥ मैं न तो मन हूं‚ न बुद्धि‚ न अहांकार‚ न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं‚ न जीभ‚ न नासिका‚ न ही नेत्र हूं मैं न तो आकाश हूं‚ न धरती‚ न अग्नि‚ न ही वायु हूं मैं तो मात्र शुद्ध …

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जितना नूतन प्यार तुम्हारा – स्नेहलता स्नेह

जितना नूतन प्यार तुम्हारा उतनी मेरी व्यथा पुरानी एक साथ कैसे निभ पाये सूना द्वार और अगवानी। तुमने जितनी संज्ञाओं से मेरा नामकरण कर डाला मैंनें उनको गूँथ-गूँथ कर सांसों की अर्पण की माला जितना तीखा व्यंग तुम्हारा उतना मेरा अंतर मानी एक साथ कैसे रह पाये मन में आग, नयन में पानी। कभी कभी मुस्काने वाले फूल-शूल बन जाया …

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क्योंकि अब हमें पता है – मनु कश्यप

क्योंकि अब हमें पता है कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो आंखें मूंद कर हाथ जोड़ कर सुनते हैं कथा कह देते हैं अपनी सब व्यथा मांग लेते हैं वरदान पालनहारे से। और हम पढ़ कर चिंतन मनन कर हुए पंडित नहीं कर पाते यह सब क्योंकि अब हमें पता है नहीं है कोई पालनहारा। अनायास ही उपजे हैं हम …

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महाशिवरात्रि पर्व का महत्त्व

शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव का रूद्र रूप प्रकट हुआ था। महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। इस दिन शिव जी की उपासना और पूजा करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं। हिन्दुओं के …

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