Kavi Pradeep

कवि प्रदीप (६ फ़रवरी १९१५ - ११ दिसम्बर १९९८) भारतीय कवि एवं गीतकार थे जो देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में सीधा प्रसारण किया गया। गीत सुनकर जवाहरलाल नेहरू के आंख भर आए थे। कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की. मुंबई उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2005 को संगीत कंपनी एचएमवी को इस कोष में अग्रिम रूप से भारतीय रुपया10 लाख जमा करने का आदेश दिया। कवि प्रदीप का मूल नाम 'रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी' था। उनका जन्म BADNAGAR (UJJAIN) MADHYA PRADESH में हुआ था। कवि प्रदीप की पहचान 1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन से बनी। हालांकि 1943 की स्वर्ण जयंती हिट फिल्म किस्मत के गीत "दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है" ने उन्हें देशभक्ति गीत के रचनाकारों में अमर कर दिया। गीत के अर्थ से क्रोधित तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए। इससे बचने के लिए कवि प्रदीप को भूमिगत होना पड़ा। पांच दशक के अपने पेशे में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे. उनके देशभक्ति गीतों में, फिल्म बंधन (1940) में "चल चल रे नौजवान", फिल्म जागृति (1954) में "आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं", "दे दी हमें आजादी बिना खडग ढाल" और फिल्म जय संतोषी मां (1975) में "यहां वहां जहां तहां मत पूछो कहां-कहां" है। इस गीत को उन्होंने फिल्म के लिए स्वयं गाया भी था। आपने हिंदी फ़िल्मों के लिये कई यादगार गीत लिखे। भारत सरकार ने उन्हें सन 1997-98 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।

ऐ मेरे वतन के लोगों: कवि प्रदीप का लोकप्रिय देशभक्ति गीत

ऐ मेरे वतन के लोगों - कवि प्रदीप

यूं तो भारतीय सिनेमा जगत में वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिये अब तक न जाने कितने गीतों की रचना हुयी है लेकिन ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंखो मे भर लो पानी, जो शहीद हुये है उनकी जरा याद करो कुर्बानी।’ जैसे देश प्रेम की अछ्वुत भावना से ओत प्रोत रामचन्द्र द्विवेदी उर्फ कवि प्रदीप के इस गीत …

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आओ बच्चों तुम्हें दिखाये झाँकी हिंदुस्तान की: कवि प्रदीप

आओ बच्चों तुम्हें दिखाये झाँकी हिंदुस्तान की - कवि प्रदीप

देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हर नागरिक में होता है। हिंदी सिनेमा ने भी इस मोहब्बत और जज़्बे को बख़ूबी अभिव्यक्त किया है। आज भी देशभक्ति के कई ऐसे गाने हैं जो लोकप्रिय हैं। बदलते वक़्त के साथ इनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा ही हुआ है। कुछ ऐसे बेशक़ीमती गीत हैं जो हर नागरिक को वतन के प्रति …

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हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के: कवि प्रदीप

Kavi Pradeep Inspirational Patriotic Song हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के

After decades of freedom struggle and innumerable sacrifices, the country finally attained freedom in 1947. In this poem the old guards pass the baton to younger generation and instruct them to carry on with great care and fortitude so that the freedom won by great efforts of several generations is sustained and the country moves on the path to progress. …

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साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल: गाँधी जी पर देश भक्ति गीत

Kavi Pradeep Inspirational Song About Mahatma Gandhi साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

दे दी हमें आज़ादी (Miraculously given us freedom) or Sabarmati ke Sant is an Indian song written by Kavi Pradeep. It is a patriotic song dedicated to Mahatma Gandhi and his non-violence nature. This a film soundtrack of Bollywood film Jagriti (1954). This song was sang by Asha Bhosle. साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल: कवि प्रदीप दे दी …

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नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी: कवि प्रदीप

नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी: कवि प्रदीप

नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी तुमपे बड़ी ज़िम्मेदारी घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना – 2 हर आँगन को फुलवारी हम पे बड़ी ज़िम्मेदारी देख रही दुनिया सारी तुम उस देश में जन्मी हो जिस देश में जन्मी थी सीता – 2 तुम उस देश की कन्या हो जिस देश में गूँज रही गीता कभी भूल कर …

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ए माँ तू कहाँ: कवि प्रदीप

ए माँ तू कहाँ - कवि प्रदीप Mothers Day Special Hindi Film Song

ए माँ तू कहाँ मेरी अंधी आँखे ढूंढ रही है तुझको यहाँ वहाँ ए माँ तू कहाँ तू कहाँ तेरे घर का दुलारा आज सड़क पे मारा मारा भटके तेरे घर दुलारा आज सड़क पे मारा मारा भटके दर दर की ठोकरे खाता हुआ तेरी आँख का तारा भटके मैं तुझ कैसे आऊ मैं तुझ तक कैसे आऊ हे बहुत …

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चलो चलें माँ: कवि प्रदीप

चलो चलें माँ - कवि प्रदीप Mothers Day Special Hindi Film Song

चलो चलें माँ सपनों के गाँव में काँटों से दूर कहीं फूलों की छाओं में चलो चले माँ हो राहें इशारे रेशमी घटाओं में चलो चलें माँ सपनों के गाँव में काँटों से दूर कहीं फूलों की छाओं में चलो चलें माँ आओ चलें हम एक साथ वहाँ दुःख ना जहाँ कोई ग़म ना जहाँ आओ चलें हम एक साथ …

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यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ: कवि प्रदीप

Kavi Pradeep Devotional Bhajan यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ

यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ! अपनी सँतोषी माँ, अपनी सँतोषी माँ… जल में भी थल में भी, चल में अचल में भी, अतल वितल में भी माँ! अपनी सँतोषी माँ, अपनी सँतोषी माँ… बड़ी अनोखी चमत्कारिणी, ये अपनी माई राई को पर्वत कर सकती, पर्वत को राई द्धार खुला दरबार खुला है, आओ बहन भाई …

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