Tajmahal - Arun Prasad

ताजमहल – अरुण प्रसाद

यमुना–तीरे मुस्कुरा रहा।
चाँदनी रात में नहा रहा।
स्तब्ध, मौन कुछ बोलो तो।
कुछ बात व्यथा की ही कह दो
अथवा इतिहास बता रख दो।
अपनी सुषमा का भेद सही, कुछ खोलो तो।

गहराने दो कुछ रात और।
तन जाने दो कुछ तार और।
तब चला अँगुलियाँ, गीत छेड़ कुछ खोलें भी।
उस नील परी सी शहजादी,
एक शंहशाह के मलका की
अन्तिम वेला, लें पोंछ अश्रु, कुछ बोलें भी।
कर याद हृदय अब भी रोता।
विह्वल आँखों का पनसोता–
थरथरा रहा था व्यथा, दर्द से पीड़ा से।

कर को कर में दे शौहर के।
सिर गोदी में रख प्रियतम के।
नहीं विस्मृत देना कर, छटपटा उठी वह पीड़ा से।
भर आँख उठा था राजा का।
स्वर शाँत हुआ ज्यों बाजा का।
व्याकुल हो चीख पड़ा राजा, हा प्राण प्रिये।

अपराध बता, अपराध बता।
भगवन, मुझसे क्या हुई खता?
ले राज–पाट तू छीन प्रभु, लौटा दे मेरी देवि हे।
मलिका के चुप होठों को छू,
जीयेगी मम हर साँस में तू।

पर, कसक हृदय का अनछुआ, अनबुझा रहा।
दिल से है जाती याद नहीं।
गढ़ दूँगा मैं इतिहास यहीं।
आत्र्त और आकुल अन्तर राजा का चीख पड़ा।
गढ़ राजा ने इतिहास दिया।
पत्थर में प्रेम तराश दिया।
पत्थर का पुष्प फिर सिंच आँसू से बढ़ा, पला।

जब चाँद गगन पर है होता।
छुप मेघों में चुप–चुप रोता।
रे, मर्त्य लोक में नैसर्गिक सौन्दर्य फला।
किसको अब कौन लजाता है?
आँखों को कौन सुहाता है?
पूनम की रात को चँदा ने अजमाने की ठाना।

छिप और गया कर हार चाँद।
मुस्कुरा आज भी रहा ताज।
हाँ, ताजमहल है श्रेष्ठ इसे चँदा ने भी माना।
नवयौवना नवोढ़ा बाला सी।
लॉकेट मुक्ता के माला की।
अद्भुद, अपूर्व छवि, अनुपम है यह ताजमहल।

नव कोंपल रश्मि में चमके ज्यों।
पल्लव स्निग्ध औ’ दमके ज्यों।
ज्यों नील सरोवर के जल में हो खिला कमल।
कल्पना कवि की शरमाती।
लेखनी और है रूक जाती।
कल्पनातीत है रूप अहै! मैं खुद विस्मित।

मधुशाला की साकी ज्यों हो।
कर लिए छलकते प्याले को।
हो खड़ी अदा से ओठों पर ले हँसी स्मित।
सद्यःस्नाता, प्रस्फुटिता कलिका सी।
पल्लव दल से ज्यों निकला हो बस अभी–अभी।
छवि प्रतिबिम्बित कर मैं न सका, हो रहा विकल।
हिय हार सजाये चन्द्रमुखी।
चन्दन वदना भर माँग सखी,
के भाल शोभते बिन्दी सा यह ताजमहल।

इसकी पर, और कहानी है।
राजा ने की मनमानी है।
तब कहीं उठा, अद्भुद, अपूर्व मुमताजमहल।
सिसका तन्हाई रातों में,
रोया चुप, चीखी आँखों में
होगी मजबूर तमन्नाएँ होकर व्याकुल और विकल।

‘कर दो’ कोड़े बरसा करके।
माँगा होगा, तरसा करके
स्फटिक शिलाएँ, संगमरमर तोला होगा।
दिन के प्रभात से सँध्या तक।
जी तोड़ बहाया श्वेद विन्दु।
औ सँध्या की रोटी खाने तन बेटी का तौला होगा।

मरते बीमार को मरने दो।
ढ़हते घर और उजड़ने दो।
मृत मलिका की रूह चीखी, चिल्लायी होगी?
अपनी यह पाक मुहब्बत पर,
यह प्रेम कथा हो किन्तु, अमर।
मलिका की रूह मालिक के जीवित रूह पर हावी होगी।

भरी माँग पोंछ बालाओं के।
ईटें उतार शालाओं के।
एक शँहशाह ने ताजमहल को फिल्माया।
कितने कठोर वर्ष बीते हैं!
उस युग की यादें तीते हैं।
जब शँहशाह ने अग्नि लहर पर लहराया।

मेरी चीत्कारों, आहों की,
दुःख, दर्द, व्यथा, पीड़ाओं की,
कुछ मोल नहीं, उनकी मलिका अनमोल रहीं।
हम चीख–चीख जब मुँह खोले
दीवारों में चुनवा डाले।
मृत को पूजा है राजा ने जीवित जिन्दगी बेमोल रही।

कहते हैं कर कटवा डाला।
बच रहा आँख रोनेवाला।
शिल्पियों के जिसने बढ़–चढ़ कर था इसे गढ़ा।
रचना के रचनाकार बन्दी गृह में डाले।
जीवन भर उनको जीवन के पड़े रहे लाले।

क्रूर, निर्दयी राजा ने क्रूरतापूर्ण आदेश जड़ा।
निरंकुश राजा ने किया नृशंस कर्म।
इतिहास खोल मुँह यह कुकर्म।
अमानवीय यातना व उत्पीड़न को दबा गया।
श्वेत धवल उज्जवल आभा में
स्याह रूदन को हाय! दबाने
इतिहासों को कैसे–कैसे सजा गया।
एक और रूप इसमें स्थित।

है एक महानता स्थापित।
हर शिला–खण्ड की आँखों से बीता भारत है झाँक रहा।
हमको न घृणा रही विद्या से।
हमको न घृणा रही शिक्षा से।
जो मिला किया है आत्म्सात, यह ताज उसे है आँक रहा।
शिल्प कला के शिखर विन्दु की,
गहराई यह अतल सिन्धु सी।
उन्नत सिर आकाश उठाये, गर्वोन्नत यह ताजमहल।

शिल्पकार का अन्र्तमन परिलक्षित।
रूप दे दिया “मन” को इच्छित।
कल्पनातीत कल्पनाओं का साक्षी है मुमताजमहल।
उन्नत अति था शिल्प हमारा।
कला, ज्ञान, विज्ञान, हमारा।
हर सूक्ष्मता ताजमहल का हँसते–हँसत बता रहा है।
विकसित अपनी स्थापत्य कला थी।
वैज्ञानिक पूरी तथा वास्तु–कला थी।
नींव से लेकर चोटी तक कण–कण इसको बता रहा है।

उन आठ महा आश्चर्यों में।
है एक दिया उन आर्यों ने।
इस माटी पर जो पले, बढ़े वे केवल आर्य कहायेंगे।
आर्यों की माटी यह सधवा।
करती है आर्यों को पैदा।
जो करती आर्यों को पैदा वे सिर पर उसे सजायेंगे।

∼ अरुण प्रसाद

About Arun Prasad

Profile not available.

Check Also

Hari Hara Veera Mallu: 2022 Telugu Action Drama

Hari Hara Veera Mallu: Part 1 – Telugu Period Action Adventure Film

Hari Hara Veera Mallu: Part 1 – Movie Name Directed by:  Krish Jagarlamudi Starring: Pawan …