ऊंट की चोरी निहुरे - निहुरे - Folktale on Hindi Proverb

ऊंट की चोरी निहुरे – निहुरे Folktale on Hindi Proverb

एक चोर था। वह जानवरों की चोरी किया करता था। कभी कहीं से गाय चुरा लेता था। कहीं से बैल चुरा लेता था। चोरी किए गए चौपायों को वह बहुत दूर जाकर बेच आता था। कभी – कभी वह जानवरों के मेलों में बेच आता था। कई बार वह पकड़ा भी गया था। खूब पीटा भी था। कभी – कभी वह घोड़े चुराकर भी बेच आता था।

Cattle Thiefचौपायों की सबसे पहले चोरी उसने अपने घर से ही शुरू की थी। उसके बाद उसने बिरादरी और रिश्तेदारों के चौपायों की चोरियां शुरू की। बाद में पक्का चोर हो गया था और दूर – दूर जाकर गाँवों से चौपायों की चोरियां करने लगा था।

जब उसे गाय, बैल, भैंस, घोड़े आदि नही मिल पाते थे, तो वह बकरियों की चोरी कर लेता था। और उन्हें कसाइयों को बेच आता था। एक बार उसके ऐसे दिन आये कि बकरी भी नसीब न हुई। वह बहुत परेशान रहने लगा। उसके परिवार का खर्चा जानवरों की चोरी से ही चलता था। औरत तो उससे कहती थी कि बच्चे भूके हैं, कहीं से कमाकर लाओ।

वह अपनी पत्नी से कि उधार ले आओ, तो वह कहती कि दुकानदार ने और अधिक उधार देना बंद कर दिया है। इस तरह वह अपनी औरत से बार – बार प्रताड़ित होने लगा। एक दिन वह चोरी की जुगाड़ में कुछ दूर चला गया।

घूमता – घूमता वह एक गाँव जा पहुंचा। पहले उसने गाँव के चारों ओर के रास्ते देखे। सर्दी का समय था। लगभग रात के 12 बजे थे। गाँव में सन्नाटा छाया हुआ था। वह गाँव में दबे पाँव घूमता रहा, चोरी की जुगाड़ में लगा रहा। उसकी जुगाड़ न बनी। गाँव के अंत में उसे एक ऊंट दिखाई दिया। उसने ऊंट को ही चुराने का मन बना लिया।

वह सावधानी से गया और ऊंट को लेकर चल दिया। वह नकेल की डोरी को पकड़े आगे – आगे चला आ रहा था। उसे कुछ बतियाते लोगों की आवाज़ें सुनाई पड़ी। उसने छिपकर देखा, कुछ लोग आग तापते हुए बतिया रहे हैं। गली और उनके बीच सीने के बराबर की ऊँची एक दीवार पड़ती थी। वह झुककर दीवार की आड़ में निहुरे – निहुरे चलने लगा।

बतियाते लोगों में एक की नजर सामने गली की ओर गई। उसने देखा कि ऊंट चला आ रहा है। गाँव में एक ही ऊंट था। उसने कहा, “लगता है काका खा ऊंट खुल आया है। वह देखो, चला जसा रहा है।” सब लोगों की नजर उधर गई। एक कहता कि हाँ वह जा तो रहा है। उन्ही में से एक अचानक बोल पड़ा, “भई, मुझे तो कुछ दाल में काला दिखाई पड़ता है।” ओर एक ने कहा, “क्या मतलब?” उसने उत्तर देते हुए कहा, “मतलब क्या। भई ऊंट अगर छूटकर जाता, तो उसके नकेल कि रस्सी पीछे होती। देखो, ऊंट की नकेल की रस्सी आगे की ओर उठी चल रही है।”

सब लोग भागकर वहां पहुंचे। वहां देखा कि एक चोर ऊंट की नकेल की रस्सी पकड़े निहुरे – निहुरे यानी झुककर चल रहा था। यह सब देखकर काका ने कहा – ‘ऊंट की चोरी, निहुरे – निहुरे‘।

यह सुनकर चोर ने ऊंट छोड़ा और जान बचाकर भागा।

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