Pratap Anam

डॉ. प्रताप अनम का जन्म 15 सितम्बर 1947 में उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में हुआ था! आपने एम. ए. करने के बाद पी.एच.डी. की जिसमे साहित्य ढूँढना और उस पर शोध, दोनों ही प्रकार के कार्य शामिल थे! लेखक ने हिंदी प्राच्य संस्थानों तथा पुस्तकालयों में प्राचीन पांडुलिपियों और ग्रंथो का अध्ययन किया! लोकसाहित्य, हस्तशिल्प कला एवं कला में विशेष रूचि रही है! 'कंचनरेखा' त्रैमासिक पत्रिका का संपादन एवं प्रकाशन किया! दिल्ली में आने के बाद 1978 -79 में 'श्री अरविंदों कर्मधारा' मासिक पत्रिका का संपादन किया! इसके बाद स्वतंत्र रूप से साहित्य लेखन, संपादन तथा पत्रकारिता आरम्भ की! देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लिखा! सन 1976 से लखनऊ आकाशवाणी तथा 1977 से दिल्ली के आकाशवाणी केंद्रों से वार्ताएं, आलेख, कहानिया तथा अन्य रचनाएं प्रसारित हो रही है! लखनऊ दूरदर्शन, दिल्ली दूरदर्शन तथा उपग्रह दूरदर्शन केंद्रों से रचनाओं का प्रसारण हुआ तथा दूरदर्शन दिल्ली के लिए समाचार लेखन किया! अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद भी किया है! इनकी कहावतों की कहानियां नामक कृति को हिंदी अकादमी, दिल्ली ने सम्मानित किया है!

घर की मुर्गी दाल बराबर: कहानियां कहावतों की

घर की मुर्गी दाल बराबर – कहानियां कहावतो की

फकीरा बहुत गरीब था। मेहनत मज़दूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था। घर में अधिकतर दाल रोटियां ही बनती थी। एकादि बार प्याज की चटनी भी चल जाती थी। फिर शाम को दाल। कभी कभी हरी सब्ज़ी बनती थी। मीट तो बकरीद के समय ही बन पाता था। कभी खरीदकर लाते थे। कभी किसी के यहाँ से आ …

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घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने: कहानियां कहावतों की

घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने-Hindi folktale on proverb No rash at home, went to her cash

एक गरीब परिवार था। उसका खर्चा जैसे ­ तैसे चल रहा था। घर में कभी दाल रोटी कभी सब्ज़ी ­ रोटी। लेकिन महीने में भी कई दिन ऐसे आते थे जब बिना दाल ­सब्ज़ी के गुजरा होता था। कभी प्याज­ नमक से रोटियाँ खाते कभी चटनी के साथ। सभी एकादी आलू बचा लेते तो उसे उबालकर भरता बना लेते। कभी …

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गए थे नमाज पढ़ने, रोजे गले पड़ गए Folktale on Hindi Proverb

गए थे नमाज पढ़ने, रोजे गले पड़ गए – Folktale on Hindi Proverb

एक मोहल्ले में काजी का परिवार था। सब मोहल्ले वाले काजी के परिवार का सम्मान करते थे। इस परिवार के सभी बच्चे पढ़ने में होशियार थे। सभी काम में लगे हुए थे। लेकिन उस परिवार में एक लड़का ऐसा था कि उसके आचार – विचार घर के लोगों से अलग थे। परिवार के सब लोग नमाज पढ़ते थे और धार्मिक …

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बात चलती है, तो दूर तक जाती है Folktale on Hindi Proverb

बात चलती है, तो दूर तक जाती है – Folktale on Hindi Proverb

एक गाँव के दो परिवारों में बहुत घनिष्टता थी। दोनों परिवार के लोग एक – दुसरे के यहाँ आते – जाते थे, उठते – बैठते थे। यदि कभी एक परिवार परेशानी में होता था, तो दूसरा परिवार उसकी मदद करने को तैयार रहता था। गाँव में किसी से कहा – सुनी हो जाए या झगड़ा हो जाए, तो दोनों परिवार मिलकर …

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अँधा बांटे रेबड़ी, घूम – धूम अपने को देय Folktale on Hindi Proverb

अँधा बांटे रबड़ी, घूम - धूम अपने को देय - Folktale on Hindi Proverb

एक गड़रियों का गाँव था। ये लोग अधिकतर बकरियां और भेड़े चराने का काम करते थे। उनमें कई लोग ऊंट भी रखते थे। ऊंट से गाँव के आस – पास लगने वाले हाटों का सामान लाते, ले जाते थे। एक दिन एक गड़रिया ऊंट खरीदकर लाया। उसने इस ख़ुशी में लोगों को प्रसाद बांटना चाहा। उसने दो व्यक्तियों को बनिया की …

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अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे Folktale on Hindi Proverb

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे – Folktale on Hindi Proverb

अनाज तथा अन्य सामान की ढुलाई बैलजाड़ियां, घोड़ों, ऊंटों आदि से होती थी। सामान को लाने – ले – जाने के यही साधन थे। एक आदमी ऊंट से सामान लाने – ले – जाने का काम करता था। कभी वह खलिहानों से अनाज बाज़ार में ले जाता था। कभी सामान को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाता था। …

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ऊंट की चोरी निहुरे – निहुरे Folktale on Hindi Proverb

ऊंट की चोरी निहुरे - निहुरे - Folktale on Hindi Proverb

एक चोर था। वह जानवरों की चोरी किया करता था। कभी कहीं से गाय चुरा लेता था। कहीं से बैल चुरा लेता था। चोरी किए गए चौपायों को वह बहुत दूर जाकर बेच आता था। कभी – कभी वह जानवरों के मेलों में बेच आता था। कई बार वह पकड़ा भी गया था। खूब पीटा भी था। कभी – कभी वह …

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बिटौरे से तो उपले ही निकलेंगे Folktale on Hindi Proverb

बिटौरे से तो उपले ही निकलेंगे-Folktale on Hindi Proverb

एक अहींरो का गाँव था। उसमे एक युवक था। उसकी चोरी करने की आदत छुटपन से ही पड़ गई थी। वैसे तो इस प्रवृत्ति के दो – चार व्यक्ति और भी थे इस गांव मेँ। उससे पूरा परिवार दुखी रहता था। चोरी – चकारी मे जब उसका नाम आता था, परिवार के लोगो की निगाहें नीची हो जाती थी। बड़ी …

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कभी घी भर घना, कभी मुट्ठी भर चना Folktale on Hindi Proverb

कभी घी भर घना, कभी मुट्ठी भर चना-Folktale on Hindi Proverb

एक संपन्न परिवार था। उसके यहाँ खेतीवाड़ी का काम होता था। घर मेँ गांय – भैंसे थी। फसल खूब होती थी। घर मेँ सब तरह का सामान बना रहता था। रिश्तेदारोँ की आव – भगत भी अच्छी होती थी। तीज – त्योहार के दिन पूरी पकवान बनते थे। कहने का मतलब किसी तरह की कोई कमी न थी। गाय – …

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हंडिया मेँ एक चावल देखा जाता है Folktale on Hindi Proverb

हंडिया मेँ एक चावल देखा जाता है-Folktale on Hindi Proverb

एक परिवार था। उस परिवार मेँ रोज रोटियां ही बनती थी। रोटी ओ के साथ के लिए कभी सब्जी बनती थी कभी दाल। लेकिन दो – चार दिन बाद एक समय चावल भी बन जाते थे। चावल अधिकतर दाल के साथ या कढ़ी के साथ खाए जाते। उस परिवार मेँ एक लड़की भी थी। जब उसकी दादी चावल पकाती तो …

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