Kanjak Puja

कंजक पूजन

कुमारी पूजन में केवल 10 वर्ष तक की कन्या को ही शामिल किया जाना चाहिए। इससे बड़ी उम्र की कन्या को कुमारी पूजन के लिए वर्जित माना गया है। अलग-अलग आयु की कन्याओं का अलग-अलग स्वरूप माना जाता है।

कुमारी पूजन से मिलती है सुख-संपदा

नवरात्रि में कुमारी पूजन या ‘कंजक पूजन’ का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि कन्या पूजन से सभी प्रकार की सुख-सम्पदा मिलती है। इससे मनोवांछित कामनाएं पूर्ण होती हैं।

नवरात्रि में व्रत के समापन पर कन्याओं को भोजन कराने, उनका अर्चन-पूजन करने का विशेष महत्व बताया गया है। यूं तो प्रतिदिन कन्या पूजन करना चाहिए किंतु व्रत समापन पर कन्याओं के चरण स्वच्छ जल से धोकर उन्हें देवी स्वरूप मानकर पुष्प गंध आदि से अर्चन कर यथेष्ठ सुरुचिपूर्ण  भोजन कराना चाहिए।

ग्रंथों में वर्णित व्यवस्था के अनुसार आसन बिछाकर एक पंक्ति में गणेश, बटुक (बालक, ब्रह्मचारी) तथा कुमारियों-कन्याओं को बिठाकर पंचोपचार द्वारा उनका क्रमश: इन मंत्रों ॐ  गं गणपत ऐ नम:, ॐ व बटुकाये नम:, ॐ कुमार्ये नम: से ध्यान पूजन करने का विधान है। इसके बाद हाथ में पुष्प पूजित कुमारियों की निम्र प्रकार प्रार्थना की जाए।

मंत्राक्षरमणी लक्ष्मी मातृणा रुपधारिणीम।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात कन्यामावाध्याम्हम्।
जगवश्वये जगद्वनंधे सर्वशक्तिस्वरूपिणी।
पूजां गृहणण कौमारि जगन्मातर्नमोदस्तुते।।

इसके बाद उन्हें भोजनादि कराकर यथाशक्ति दक्षिणा, वस्त्र और आभूषण देने का विधान ग्रंथों में है। कुमारी पूजन में केवल 10 वर्ष तक की कन्या को ही शामिल किया जाना चाहिए। इससे बड़ी उम्र की कन्या को कुमारी पूजन के लिए वर्जित माना गया है। अलग-अलग आयु की कन्याओं का अलग-अलग स्वरूप माना जाता है।

इसमें 2 वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्तिनी, 4 वर्ष की कल्याणी, 5 वर्ष की रोहिणी, 6 वर्ष वाली कल्याणी, 7 वर्ष वाली चंडिका, आठ वर्ष वाली शाम्भवी, नौ वर्ष वाली दुर्गा तथा 10 वर्ष वाली कन्या सुभद्रा स्वरूपा मानी जाती है।

कन्या पूजन में पूजित कुमारियों की संख्या के अनुसार उनके पूजन से अलग-अलग फल प्राप्ति का विवरण मिलता है। इसके अनुसार एक कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य की, दो का पूजन करने से भोग व मोक्ष की, तीन का पूजन करने से धर्म, अर्थ, काम की, चार का पूजन करने से राज्य पद की, पांच कन्याओं का पूजन करने से विद्या की, छह कन्याओं की पूजा करने से षटकर्मा सिद्धि की, सात की पूजा करने से राज्य की, आठ की पूजा करने से सम्पदा की तथा नौ कन्याओं की पूजा-अर्चना से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है। अत: नवरात्रि में कन्याओं का पूजन अवश्य करना चाहिए।

~ अनिल शर्मा ‘अनिल’

Check Also

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, वेरूळ गांव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, वेरूळ गांव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। भगवान भोलेनाथ का यह सिद्ध मंदिर …