प्रसून जोशी के “कुछ कर गुज़रने” की शुरुआत पहाड़ों से हुई। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 1971 में जन्म हुआ। पिता पीसीएस अफसर थे। मां क्लासिकल सिंगर। मां-पिता दोनों की संगीत में दिलचस्पी थी। एक इंटरव्यू में प्रसून ने कहा था, “पिता पीसीएस अधिकारी थे तो देर रात तक लाइब्रेरी खुलवाए रखने में दिक्कत नहीं होती थी। सुबह नींद मां के रियाज़ …
Read More »सर्प क्यों इतने चकित हो: प्रसून जोशी की मोदी जी के बारे में नयी कविता
Here is a nice poem by Prasoon Joshi. The poem is a metaphor for a person who repeated face severe adversities and comes out a winner. Prasoon Joshi recently read this poem for Prime Minister Narendra Modi in London. सर्प क्यों इतने चकित हो दंश का अभ्यस्त हूं पी रहा हूं विष युगों से सत्य हूं अश्वस्त हूं ये मेरी …
Read More »बम बम बोले मस्ती में डोले: प्रसून जोशी
चका राका ची चाय चो चका लो रूम गंदो वंदो लाका राका तुम अक्को तकको इड्डी गिद्दी गिद्दी गो इड्डी पी विदि पी चिकि चका चो गीली गीली मॉल सुलू सुलू मॉल मका नका हुकू बुकू रे तुकु बुकू रे चका लाका बिक्को चिक्को सिली सिली सिली गो बगड़ दम चगद दम चिकि चका चो देखो देखो क्या वो पेड़ …
Read More »खोलो खोलो दरवाज़े: प्रसून जोशी
खोलो खोलो दरवाज़े परदे करो किनारे खूंटे से बंधी है हवा मिल के छुडाव सारे आजाओ पतंग लेके अपने ही रंग लेके आसमान का शामियाना आज हमे है सजाना क्यू इस कदर हैरान तू मौसम का है मेहमान तू ओ, दुनिया सजी तेरे लिए खुद को ज़रा पहचान तू तू धुप है झाम से बिखर तू है नदी ओ बेखबर …
Read More »मैं कभी बतलाता नहीं, पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ: प्रसून जोशी
मैं कभी बतलाता नहीं, पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ यूँ तो मैं दिखलाता नहीं, तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ तुझे सब हैं पता, हैं ना माँ तुझे सब हैं पता, मेरी माँ भीड़ में यूँ ना छोड़ो मुझे, घर लौट के भी आ ना पाऊँ माँ भेजना इतना दूर मुझको तू, याद भी तुझको आ ना पाऊँ …
Read More »तारे ज़मीन पर: प्रसून जोशी
देखो इन्हे यह है ओस की बूंदे, पत्तों की गोद मे आसमान से कूदे अंगड़ाई ले के फिर करवट बदल कर, नाज़ुक से मोती हंस दे फिसल कर खो न जाए ये… तारे ज़मीन पर यह तो है सर्दी मे धुप की किरणे उतरे जो आंगन को सुन्हेरा सा करने मन के अंधेरो को रोशन सा कर दे ठिठुरती हथेली …
Read More »चाँद सिफारिश: प्रसून जोशी
सुभान अल्लाह… चांद सिफारिश जो करता हमारी देता वोह तुमको बता शर्म-ओ-हया पे परदे गिरा के करनी है हमको खता जिद्द है अब तोह है खुद को मिटाना होना है तुझमे फना चांद सिफारिश जो करता हमारी देता वोह तुमको बता शर्म-ओ-हया पे परदे गिरा के करनी है हमको खता तेरी अदा भी है झोंके वाली छू के गुजर जाने …
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