श्री अमरनाथ का हिमनिर्मित शिवलिंग

श्री अमरनाथ का हिमनिर्मित शिवलिंग

सृष्टि के आदि में जब केवल अंधकार ही था, न दिन था न रात्रि, न सत् (कारण) था और न असत् (कार्य) था, तब केवल एक निर्विकार शिव ही विद्यमान थे। भगवान शिव कुबेर के अधिपति और पल में प्रसन्न होने वाले देवता हैं, केवल देवता ही नहीं अपितु देवताओं के भी देवता महादेव हैं।सर्व प्रकार के दुख शोकादि हरने व सभी प्रकार के रोगों का नाश करने के लिए शिवपूजन, ‘ॐ नम: शिवाय’ एवं ‘महामृत्युंज्य’ मंत्र ही परमपद हैं। इन्हीं मंत्रों से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।

श्री अमरनाथ आदिदेव भगवान शंकर की पवित्र उपाधि है। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में स्थित प्राकृतिक भव्य एवं चमत्कारिक गुफा में प्रत्येक वर्ष हिमशिवलिंग के दर्शन करने से सुखद अनुभव की प्राप्ति होती है। भारत के तीर्थ स्थानों में श्री अमरनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। कश्मीर के हिमाच्छादित पर्वतों के आगोश में बनी इस पवित्र गुफा के दर्शन हेतु यात्रा जुलाई में प्रारम्भ होकर अगस्त में रक्षाबंधन तक चलती है। अमरनाथ यात्रा को कुछ लोग मोक्ष प्राप्ति का तो कुछ स्वर्ग की प्राप्ति का जरिया बतलाते हैं।

इस पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। गुफा के एक छोर में प्राकृतिक रूप से बना हिमशिवलिंग पक्की बर्फ का होता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है। गुफा में पक्की बर्फ से गणेश पीठ तथा पार्वती पीठ भी बनती हैं। भारत भूमि का कण-कण तीर्थ है। कश्मीर को तीर्थों का घर कहा जाता है। कश्मीर में 49 शिवधाम, 60 विष्णुधाम, 3 ब्रह्माधाम, 22 शक्तिधाम, 700 नागधाम हैं।

अमरनाथ में स्थित पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। अमरनाथ जी की यात्रा कैलाश मानसरोवर के बाद भारत में सबसे ज्यादा रोमांचक यात्रा है। काशी में लिंगदर्शन एवं पूजन से दस गुणा फल देने वाला श्री अमरनाथ का पूजन है। देवताओं की हजार वर्ष तक स्वर्ण, पुष्प, मोती एवं पट्ट वस्त्रों से पूजा का जो फल मिलता है वह श्री अमरनाथ जी की इस लिंग पूजा से एक ही दिन में प्राप्त हो जाता है।

एक दंत कथानुसार रक्षाबंधन की पूर्णिमा के दिन जो सामान्यत: अगस्त मास में पड़ती है भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं। रक्षा बंधन के दिन ही पवित्र छड़ी मुबारक गुफा में बने हिमशिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है। अमरनाथ यात्रा का प्रचलन ईसा से भी एक हजार वर्ष पूर्व का है। अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर ने मां पार्वती को अमरकथा सुनाई थी। मां पार्वती ने अमरत्व प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर से अमरकथा सुनाने का हठ किया था।

प्राचीन कथानुसार इस पावन गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के मुसलमान गडरिए ने की थी। एक दिन वह भेड़ें चराते दूर निकल गया जहां उसकी एक साधु से भेंट हुई। साधु ने बूटा मलिक को एक कोयले से भरी कागड़ी दी। घर जाकर जब उसने देखा तो उस कागड़ी में सोना था जिसे देखकर वह हैरान हो गया। उस साधु का धन्यवाद करने वह वापस उस स्थान पर गया परन्तु साधु उसे मिला नहीं। उसने वहां एक विशाल गुफा देखी। उसी दिन से यह गुफा एक तीर्थ स्थान बन गई। माता पार्वती ने अमरकथा इसी गुफा में सुनी थी।

इसी कारण देश-विदेश से हजारों की संख्या में शिव भक्त इस हिमशिवलिंग के दर्शन हेतु आते हैं। चातुर्मास की प्रतिपदा को हिमलिंग का निर्माण अपने आप प्रारम्भ होता है और धीरे-धीरे शिवलिंग का आकार ले लेता है तथा पूर्णिमा को परिपूर्ण होकर दूसरे पक्ष में घटने लगता है।अमावस्या या शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को यह लिंग पूर्णत: अदृश्य हो जाता है। कुछ लोग इस किंवदंती को झुठलाते हैं।

सत्य है कि हिमनिर्मित शिवलिंग कभी पूर्णतया लुप्त नहीं होता। आकार छोटा या बड़ा हो सकता है। कहा जाता है कि भगवान शिव इस गुफा में पहले-पहल श्रावण की पूर्णिमा को आए थे इसीलिए इस दिन अमरनाथ की यात्रा का विशेष महत्व माना जाता है। रावण पूर्णिमा (रक्षा बंधन) का सर्वाधिक महत्व होने से लोग इसी माह में यात्रा करते हैं। पहलगांव की तरफ से इस यात्रा पर जाने से मार्ग में चंदनबाड़ी, शेषनाग झील, पंचतरणी के दर्शन होते हैं।

~ कृष्ण पाल छाबड़ा, गोराया

Check Also

Tehran: 2024 Hindi Action Thriller Film, Trailer, Songs, Review & Cast

Tehran: 2024 Hindi Action Thriller Movie, Trailer, Songs, Review

Tehran : Movie Name Directed by: Arun Gopalan Starring: John Abraham, Manushi Chhillar, Neeru Bajwa …