शिव के नाम में छिपे रहस्य

शिव के नाम में छिपे रहस्य

भारतीय संस्कृति में बहुदेववाद की प्रतिष्ठा है, यह सत्य है किंतु भगवान शिव को ही भोले बाबा के रूप में माना गया है। इनकी अनेक नामों से पूजा की जाती है और प्रत्येक नाम इनके गुणों को प्रकाशित करता है। अपने भक्तों के दुख दारिद्रय को दूर करने के लिए बहुत जल्दी प्रसन्न होने के कारण इन्हें आशुतोष कहा जाता है और निरंतर कल्याणकारी होने के कारण ही इनका शंकर नाम पड़ा।

शिव के अद्र्धनारीश्वर रूप में देव संस्कृति का दर्शन जीवंत हो उठता है। ईश्वर के इस साक्षात शरीर का सिर से लेकर पैर तक आधा भाग शिव का और आधा भाग पार्वती का होता है। यह प्रतीक इस बात को स्पष्ट करता है कि नारी और पुरुष एक ही आत्मा है।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के अनुसार, अद्र्धनारीश्वर केवल इस बात का प्रतीक नहीं है कि नारी और नर जब तक अलग हैं तब तक दोनों अधूरे हैं बल्कि इस बात का भी द्योतक है कि जिसमें नारीत्व अर्थात संवेदना नहीं है वह पुरुष अधूरा है। जिस नारी में पुरुषत्व अर्थात अन्याय के विरुद्ध लडऩे का साहस नहीं है वह भी अपूर्ण है।

शिवलिंग वस्तुत: प्रकाशस्वरूप परमात्मा के प्रतीक ज्योति का ही मूर्तमान स्वरूप है। ज्योर्तिलिंग शब्द इसका प्रमाण है। प्रारंभ में उपासना स्थलों को अनवरत जलते हुए दीप रखने का प्रावधान था लेकिन इस दीए का संरक्षण कतई आसान नहीं था। इसके चलते दीप को मूर्तमान स्वरूप दिया गया। देश के विभिन्न कोनों में स्थापित बारह ज्योर्तिलिंग आज भी श्रद्धा के विराट केंद्र हैं। पुराणों में शिवलिंग से जुड़ी अनेक कथाओं का प्रतीकात्मक वर्णन है जिनके पीछे दार्शनिक सत्य छिपे हुए हैं।

Check Also

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award: Categories, Winners and Recognition

National Creators Award (NCA): Creators Awards 2024 took place on 08th March 2024, Prime minister …