सास-बहू मंदिर नागदा, उदयपुर, राजस्थान: सहस्रबाहु मंदिर

सास-बहू मंदिर नागदा, उदयपुर, राजस्थान: सहस्रबाहु मंदिर

सास-बहू मंदिर नागदा: राजस्थान में उदयपुर (Udaipur, Rajasthan) के पास स्थित नागदा (Nagda) में एक बेहद प्राचीन मंदिर है, जिसे सास-बहू का मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। कहा जाता है कि इस्लामिक आक्रांता शम्सुद्दीन इल्तुत्मिश (Shamsuddin Iltutmish) ने नागदा शहर को बर्बाद कर इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इस मंदिर को उसने चूना और बालू भरवा कर एक टीले में तब्दील करवा दिया था। उसने मंदिर और उसके आसपास के इलाकों में पूजा-पाठ पर पूरी तरह रोक भी लगा दी थी।

Name: Sahasra Bahu Temples, Saas-Bahu Temples
Location: Nagda, Near Udaipur, Rajasthan 313202 India
Deity: Virabhadra (fierce form of the Hindu Lord Shiva), Lord Vishnu
Affiliation: Hinduism
Completed In: 10th century CE
Architecture: Māru-Gurjara
Creator: King Mahapala Singh

सास-बहू मंदिर का असली नाम सहस्रबाहु मंदिर है, जो भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक राजा कार्तवीर्य अर्जुन उर्फ सहस्त्रबाहु को समर्पित है। यह मंदिर 1100 साल से अधिक पुराना है, जो कालांतर में अपभ्रंश होकर सहस्त्रबाहु की जगह सास-बहू का मंदिर कहलाने लगा। इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश की छवियाँ हैं। वहीं दूसरी तरफ भगवान राम, लक्ष्मण और परशुराम की कलाकृतियाँ हैं। इसकी दीवारों पर रामायण का सचित्र वर्णन किया गया है।

सास-बहू मंदिर का इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार, गहलोत या गुहिलोत वंश से संबंधित मेवाड़ राजघराने की राजमाता ने मंदिर भगवान विष्णु के अवतार सहस्त्रबाहु को और बहू ने शिव को समर्पित किया था। राजमाता भगवान सहस्त्रबाहु की अनन्य भक्त थीं। जब उनकी बहू आईं तो शिव की परम भक्त थीं। इसलिए इसी परिसर में मुख्य मंदिर के बगल में एक शिव मंदिर बनवा दिया। इस तरह यह मंदिर सहस्त्रबाहु से कालांतर में अपभ्रंश होकर सास-बहू का मंदिर बन गया।

कुछ इतिहाकारों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण कच्छावा राजवंश के राजा महिपाल और राजा रत्नपाल ने करवाया था। इसको लेकर विद्वानों का कहना है कि राजा महिपाल ने ग्वालियर में सहस्त्रबाहु मंदिर बनवाया है। बता दें कि नागदा के अलावा, ग्वालियर में भगवान विष्णु के अवतार सहस्त्रबाहु को समर्पित एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर है।

नागदा स्थित मंदिर में भगवान सहस्त्रबाहु की 32 मीटर ऊँची और 22 मीटर चौड़ी प्रतिमा थी। आज यह मंदिर खंडहर बन चुका है। हालाँकि, मंदिर की दीवारें और इन पर बनीं कलाकृतियाँ इसकी भव्यता को आज भी प्रदर्शित करती हैं। मंदिर ऊँचे जगत पर बना हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए पूर्व में मकरतोरण द्वार है। मंदिर आकर्षक पंचायतन वास्तु शैली में बनाया गया है।

यह मंदिर मेवाड़ राजवंश के कुलदेवता एकलिंगजी (भगवान शिव) मंदिर के रास्ते में स्थित है। सास-बहू मंदिर पाँच छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। इसके तीन दरवाजे तीन दिशाओं में हैं, जबकि चौथा दरवाजा एक ऐसे कमरे में स्थित है, जहाँ लोग नहीं जा सकते। मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवी सरस्वती, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की मूर्तियाँ स्थित हैं।

मुख्य मंदिर के चारों तरफ देवताओं के कुल (परिवार) को बेहद उत्कृष्ट ढंग से उत्कीर्ण किया गया है। हर मंदिर में पंचरथ गर्भगृह और खूबसूरत रंगमंडप बने हैं। मंदिर के प्रमुख देवता हजार हाथों वाले सहस्रबाहु हैं। वहीं, मंदिर परिसर में दूसरा प्रमुख मंदिर भगवान शिव का है। मंदिर की दीवारों पर खजुराहो की तर्ज पर असंख्य मूर्तियाँ बनी हैं। यह राजस्थान के अत्यंत प्राचीन मंदिरों में से एक है।

ओमेंद्र रत्नू द्वारा लिखित ‘महाराणा: सहस्त्र वर्षों के इतिहास‘ के अनुसार, नागदा और उसके आसपास के इलाकों में 999 शैव, वैष्णव और जैन मंदिर थे। इन मंदिरों को क्रूर इस्लामी आक्रांता इल्तुत्मिश ने नष्ट कर, इनकी मूर्तियों को खंडित करने के बाद पूरे शहर को जला दिया था।

इस्लामी आक्रांता इल्तुत्मिश ने मंदिर में भरवा दिया रेत

साल 1226 में मेवाड़ पर आक्रमण के दौरान इल्तुत्मिश ने न सिर्फ इन मंदिरों और उनमें स्थापित मूर्तियों को तोड़ा, बल्कि उसने सहस्त्रबाहु मंदिर को बालू और चूना से भरवा दिया। इसके बाद यह टीला का रूप ले लिया।

जब अंग्रेजों ने इलाके पर कब्जा किया और नागदा में बिखरी कलाकृतियों को देखा तो उसने इस टीले की खुदाई करवाई। इस खुदाई में हिंदुओं का 1000 साल पुराना इतिहास निकलकर सामने आया। इसके बाद हिंदुओं ने सैकड़ों वर्षों बाद इस मंदिर में पूजा शुरू की।

इस तरह प्राचीन नागदा शहर बप्पा रावल के काल में एक भव्य शहर हुआ करता था। इतिहासकार डॉ. राजशेखर व्यास के अनुसार, इस कस्बे में सहस्रबाहु मंदिर, महाराणा खुमाण रावल देवल तथा परकोटे के अवशेष मेवाड़ के तेरह सौ साल के गौरवमयी इतिहास के गवाह हैं।

यहाँ सहस्त्रबाहु मंदिर के अलावा, शिव मंदिर, आदिबुद्ध मंदिर जिसे अद्भुतजी कहते हैं, स्थित है। इसके परिसर में कई मूल्यवान मूर्तियाँ आज भी बेतरतीब ढंग से बिखरी पड़ी हुई हैं। यह क्षेत्र बौद्ध, जैन और सनातन संस्कृतियों को लेकर विश्वविख्यात रहा है।

10th century Sahasra Bahu Hindu temple, iconography, Nagda near Udaipur Rajasthan
10th century Sahasra Bahu Hindu temple, iconography, Nagda near Udaipur Rajasthan

What’s worth seeing?

The temple is located enroute Eklingji temple that is dedicated to Lord Shiva. The Saas-Bahu temple is enclosed by ten or five smaller shrines respectively. The Saas temple has an archway in the front space for placing the idol of Lord Vishnu on special festivals. It has three doors facing three directions, while the fourth door is located in a room that is shut off from public access.

At the entrance of the temple, idols of goddess Saraswati, Lord Brahma and Lord Vishnu are placed. The walls of the temple sport amazing carvings and the architecture as a whole is much admirable. But owing to numerous invasions and the effect of time, some portions of the heritage site are in ruins.

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