भारत की स्वतंत्रता को फिल्मी सलाम

आज स्वतंत्रता दिवस लोगों के लिये सिर्फ होलीडे से ज्यादा और कुछ नहीं रह गया है। लोग घरो में बैठकर अपनी छुट्टी एंज्वाय करते हैं या अपने परिवार के साथ घुमने निकल पड़ते हैं लेकिन सरहद पर बैठे जवान आजादी के इतने साल बाद आज भी देश की रक्षा की खातिर अपनी जान दाव पर लगाते हैं। इन देशप्रेमियों और शहीदों की कहानियों को फिल्म जगत ने समय-समय पर बखूबी पर्दे पर उतारा है।

1965 में बनी फिल्म ‘शहीद‘ में मनोज कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था। फिल्म की कहानी वर्ष 1916 से शुरू होती है जब भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह को ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत करने के जुर्म में पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है। उस समय भगत सिंह भी अपने चाचा के नक्शेकदमों पर चलते हुए साइमन कमिशन के खिलाफ हो रहे आंदोलन में शामिल हो गए। इसी आंदोलन के चलते पुलिस लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय की मौत हुई। इसके बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली असैम्बली में बम विस्फोट किया और वहां से भागने की बजाय वहीं खड़े होकर ‘इंकलाब जिंदाबाद‘ के नारे लगाए और खुद को गिरफ्तार करवाया ताकि वे अपनी मांगें अंग्रेज सरकार के सामने रख पाएं।

मनोज कुमार ने भगत सिंह के किरदार को इस कदर पर्दे पर उतारा कि आज भी जब युवा उनकी फिल्म को देखते हैं तो उनमें अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की लहर दौड़ जाती है। हर उस जांबाज के लिए सम्मान जाग उठता है जिसने देश की आजादी के लिए अपने प्राण दाव पर लगा दिए।

भारत की स्वतंत्रता को फिल्मी सलाम

इस फिल्म की कहानी भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। यह संयोग ही था कि जिस वर्ष यह फिल्म रिलीज होने वाली थी उसी वर्ष बटुकेश्वर की मृत्यु हो गई। फिल्म ‘आनंदमठ‘ में 18वीं शताब्दी में हुई अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई को दर्शाया गया है, जो संन्यासी क्रांतिकारियों द्वारा लड़ी गई थी।

बेन किंग्सले की फिल्म ‘गांधी‘ को मोहनदास कर्मचंद गांधी के जीवन पर बनाया गया था। फिल्म में गांधी जी से जुड़े हर पहलू को पर्दे पर दर्शाने की कोशिश की गई थी। इस फिल्म ने 8 ऑस्कर अवार्ड जीते थे।

https://www.youtube.com/watch?v=-dgMlgj7FfQ

1962 में आई फिल्म ‘हकीकत‘ ऐसे सैनिकों की टुकड़ी के बारे में दिखाया गया है जो लद्दाख में भारत और चीन के बीच छिड़ी जंग का हिस्सा हैं। इसी दौरान उन्हें ऐसा लगने लगता है कि वे अब बच नहीं पाएंगे लेकिन फिर भी उनके कदम नहीं डगमगाते और वे जमकर दुश्मनों का सामना करते हैं। जब उन्हें अपनी मौत निश्चित लगने लगती है तभी उनके कैप्टन बहादुर सिंह उन्हें बचा लेते हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=3M3P2HsESM0

फिल्म ‘मंगल पांडे – द राइजिंग‘ भारत के पहले क्रांतिकारी मंगल पांडे की जिंदगी पर बनी है, जिन्होंने 1857 में ब्रिटिश अफसरों से विद्रोह किया था। ऐसा भी माना जाता है कि मंगल पांडे ने ही अंग्रजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई का आगाज किया था। 1997 में आई फिल्म ‘बॉर्डर‘ भारत – पाक युद्ध पर आधारित थी। फिल्म में न सिर्फ सरहद के जवानों की कहानी को दर्शाया गया है बल्कि उनकी निजी जिंदगी के पहलुओं को भी शामिल किया गया है। जवान किस हाल में अपने परिवार को छोड़कर सरहद पर आता है, माँ उसकी राह देखती रह जाती है लेकिन बेटा कभी लौट कर नहीं आ पाता। किसी का परिवार उसका इंतजार करता रहता है और कभी ऐसा भी होता है की छुट्टी मिलने के बावजूद जवान अपने घर नहीं जा पाते क्योंकि उनका फर्ज उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देता। फिल्म देखते हुए कई जगहों पर दर्शकों की आँखें नम हो जाती हैं। फिल्म ‘बॉर्डर‘ को देशभक्ति पर बनी एक सुपरहिट फिल्म कहा जाता है।

2005 में आई फिल्म ‘टैंगो चार्ली‘ में बॉबी देओल और अजय देवगन को मुख्य भूमिका में दिखाया गया है। फिल्म की कहानी बी.एस.एफ. के जवानों पर आधारित है, जिसमे उन्हें अलग – अलग जगह पर भेजा जाता है और उन जगहों पर वे जन पर खेल कर देश की रक्षा करते हैं। फिल्म में यहां तक दिखाया गया कि अगर कोई सिपाही दुश्मनों के हाथ लग जाय तो बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है।

Martyr BSF jawan Rockyइन जवानों की कहानियों को इतना बखूबी पर्दे पर दर्शाया गया है कि फिल्म देखने के बाद हरियाणा के यमुना नगर में रहने वाले रॉकी ने BSF ज्वाइन कर लिया। देश की रक्षा करते हुए वही 25 वर्षीय रॉकी 7 अगस्त को शहीद हो गया। उनहोंने अपनी जान को दाव पर लगाकर अपने 44 साथियों की जान बचाई। रॉकी जैसे न जाने कितने ही आज भी ऐसे लोग हैं जो खुद से ज्यादा अपने देश को प्यार करते हैं।

 

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