National Girl Child Day: Top 5 Government Girl Child Schemes

न शादी की चिंता न शिक्षा की… राष्ट्रीय बालिका दिवस पर जानें मोदी सरकार की वो योजनाएँ जिनसे बेटियों को मिला मान (Government Girl Child Schemes)

पीएम ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर लिखा, “हम बालिकाओं की अदम्य भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं। हम सभी क्षेत्रों में प्रत्येक बालिका की समृद्ध क्षमता को भी पहचानते हैं। वे परिवर्तन-निर्माता हैं, जो हमारे देश और समाज को बेहतर बनाती हैं। हमारी सरकार एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के लिए कई प्रयास कर रही है, जहां प्रत्येक बालिका को सीखने, बढ़ने और फलने-फूलने का अवसर मिले।”

  • खेल की दुनिया में भारत की बेटियों ने रचा इतिहास…
  • बोर्ड परीक्षा में लड़कियों ने मारी बाजी…
  • भारत को चाँद तक ले गईं महिला वैज्ञानिक…
  • वीरांगना को मिली सेना की कमान…

Government Girl Child Schemes: ये चंद शीर्षक हैं जो आजकल समाचार में हर दूसरे दिन पढ़ने को मिलते हैं। कहीं से पता चलता है कि लड़कियाँ अपने शारीरिक बल से देश का गौरव खेल जगत में बढ़ा रही हैं तो कहीं मानसिक बल से अकादमिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। उनका अस्तित्व, उनकी उपलब्धियाँ देश से लेकर विदेश में चर्चा का कारण है। आज लोग गौरवान्वित हैं क्योंकि भारत का नाम रौशन हो रहा है। यही वजह है कि 24 जनवरी को दिन राष्ट्र बालिका दिवस को खुशहाली से जगह-जगह मनाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “हम बालिकाओं की अदम्य भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं। हम सभी क्षेत्रों में प्रत्येक बालिका की समृद्ध क्षमता को भी पहचानते हैं। वे परिवर्तन-निर्माता हैं, जो हमारे देश और समाज को बेहतर बनाती हैं। हमारी सरकार एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के लिए कई प्रयास कर रही है, जहाँ प्रत्येक बालिका को सीखने, बढ़ने और फलने-फूलने का अवसर मिले।”

इसके अलावा, अन्य बड़ी हस्तियाँ और राजनेता भी इस दिवस की शुभकामनाएँ देकर इसकी महत्ता बता रही हैं। स्कूल हो या कॉलेज, लड़कियों को उनकी पढ़ाई, उनके पोषण, उनके कानूनी अधिकार, चिकित्सा सेवा, उनकी सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जागरूक किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर रील्स बेटियों को लेकर ऐसी डल रही हैं जो कभी सोची भी नहीं जा सकती थी कि बेटियों का इस प्रकार स्वागत होगा।

कन्या भ्रूण हत्या

ज्यादा वक्त नहीं बीता जब भारत को लेकर मीडिया खबरें छापता था कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या सामान्य हो गई है। 24 मई 2011 को लैंसेट में प्रकाशित एक शोध की बात करें तो उसमें निकलकर आया था कि भारत के कई परिवार अपने दूसरे बच्चे का लिंग पता चलने पर उसे अबॉर्ट करवा देते थे। टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया था कि भारत में एक दशक में (2011 के हिसाब से) 3.1 से 6 मिलियन गर्भपात हुए, जिनमें अधिकाँश शिक्षित और धनी परिवारों ने कराए।

ऐसा नहीं था कि भारत कन्या भ्रूण हत्या के कारण सिर्फ विदेशी मीडिया में बदनाम हो रहा था। भारत की महिला नेता मेनका गाँधी ने खुद इस बात को 2015 में मीडिया में कहा था कि भारत में 2000 लड़कियाँ प्रतिदिन मारी जाती हैं। गार्जियन की रिपोर्ट में तो यहाँ तक अनुमान थे कि अगर इसी तरह चयनात्मक गर्भपात चलता रहा 2030 तक तो भारत में 6.8 मिलियन कम लड़कियों का जन्म दर्ज किया जाएगा।

मोदी सरकार ने स्थिति सुधारने के लिए चलाई कई योजनाएँ

2008 में इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाए जाने के ऐलान के बावजूद भी देश में लड़कियों की स्थिति नहीं सुधरी थी। समाज का कुंठित वर्ग अपनी कुंठा में उनके विकास को रोक रहा था, उनके जीने के अधिकार को छीन रहा था। तर्क दिए जाते थे कि उनके बड़े होने पर उन्हें पढ़ाना पड़ेगा और उनकी शादी करवानी पड़ेगी, जिसमें खर्चा आएगा।

2014 में जब मोदी सरकार आई तो उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और शुरुआत से ही लड़कियों को लेकर नई नई योजनाओं की घोषणा की ताकि समाज की यह सोच बदली जा सके कि लड़कियाँ उनपर शिक्षा, शादी जैसे कारणों की वजह से भार बिलकुल नहीं हैं।

इनमें कुछ का जिक्र हम यहाँ कर रहे हैं: Government Girl Child Schemes

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ: साल 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा के पानीपत में इस योजना का शुभारंभ किया था। इसका उद्देश्य ही था कि लिंग अनुपात को सुधारा जा सके और समाजिक कुरीतियों से बेटियों को बचाया जा सके। इस योजना में था कि माता-पिता द्वारा बेटी का खाता खुलवाना होगा। फिर 14 वर्ष की आयु पूरी होने तक इसमें निरंतर निर्धारित राशि जमा की शर्त है। ये राशि 1,68,000 रूपए तक होगी। इसके बाद बेटी के 18 वर्ष पूरे होने पर वह जमा राशि का 50% निकाल सकेंगे और 21 वर्ष पूरे होने पर कुल राशि निकाली सकेगी। 21 साल की उम्र तक ये राशि 6,07,128 रूपए हो जाएगी।

सुकन्या समृद्धि योजना: सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत भी 2015 में हुई थी। इस स्कीम में था कि 10 वर्ष से कम उम्र की लड़की का खाता खोलकर इसमें 1000 की धनराशि 15 वर्ष तक जमा की जाती है। यह पैरसा बिना टैक्स कटे 7.6 प्रतिशत के दर पर बेटी के शादी के वक्त मिलेगा जिससे आराम से उसका विवाह किया जा सके।

बालिका समृद्धि योजना: यह योजना एक स्कॉलरशिप स्कीम है जो गरीबी रेखा से नीचे वाली युवा लड़कियों और उनकी माताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई है। इसका लाभ शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मिलता है। इसमें बालिका के जन्म के बाद बालिका की माँ को 500 रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा स्कूल जाते समय, उस बालिका को 300 रुपए से 1000 रू तक की वार्षिक छात्रवृत्ति मिलने की बात है जिसे बालिका 18 वर्ष की आयु के बाद निकाल सकती है।

CBSE उड़ान स्कीम: लड़कियों के लिए CBSE उड़ान योजना केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जाती है। इस योजना का उद्देश्य भारत में प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और तकनीकी कॉलेजों में लड़कियों के एडमिशन को बढ़ाना है।

इसमें 11 वीं और 12 वीं कक्षा में छात्राओं के लिए मुफ्त पढ़ाई के सामान / ऑनलाइन जैसे वीडियो अध्ययन सामग्री आदि उपलब्ध कराई जाती है। वीकेंड पर ऑनलाइन क्लास की सुविधा उपलब्द होती है। करियर को लेकर सलाह दी जाती है। उनकी प्रगति की निरंतर निगरानी और ट्रैकिंग की जाती है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों जरूरी

बता दें कि ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस‘ के मौके पर आज इस तरह बालिकाओं के लिए शुरू की गई स्कीमों को जानना और ये समझना कि लोगों की सोच लड़कियों के प्रति क्या रही है, ये बेहद जरूरी है। कोई भी समाज बेहतर तभी होता जब उसे पता हो कि इतिहास में शोषण क्या कहकर और कैसे किया गया…।

एक समय तक लड़कियों का अनुपात लड़कों के मुकाबले घटना देश के कई राज्यों के लिए काफी चिंता का विषय था। हालाँकि सरकार के प्रयासों का असर ये देखा गया कि धीरे-धीरे भारत का कुल लिंगानुपात बढ़कर 1020 कन्या हो गया।

सरकार आज बेटियों के लिए बाकी योजनाओं को मजबूत करने पर भी काम कर रही है। कोशिश है कि एक बालिका के जीवन में आने वाले संघर्षों को हर स्तर पर कम किया जा सके। उसे समाज के शोषण से बचाने के लिए कानून लाए जा रहे हैं। उसे उसके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उसे उसकी महत्वता से अवगत कराया जा रहा है। उसे बताया जा रहा है कि केवल उसकी सीमा घर तक नहीं है। वो इसरो की वो महिला साइंटिस्ट भी बन सकती हैं जिन्होंने चंद्रयान को चाँद तक पहुँचाया और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी।

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