रामराव ने डूबती लड़की को पकड़ लिया, परंतु उसका काम बहुत कठिन था। वहाँ पानी में सिवार भरी थी, जो बार-बार हाथ-पैर में फैस जाती थी। वह लड़की रामराव के लिये बहुत भारी थी। रामराव के कपड़े भीगकर तैरने में बाधा डाल रहे थे। इतने पर भी वह साहसी बालक अपने काम में जूटा रहा। वह उस लड़की को घाट पर ले आया, यदपि इस काम से वह स्वय बहुत अधिक थक गया और उसके भी डूब जाने का भय हो गया था। अपने प्राणों को कठिनाई में डालकर उसने उस कन्या के प्राण बचा लिये।
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