आई होली - जितेश कुमार

आई होली – जितेश कुमार

सराबोर रंगों में होकर,
खुशियों के बीजों को बोकर
आओ खेलें मिलकर होली
होली-होली आई होली

रंग-गुलाल गलियों में उड़ता
आपस में सब खुशियां करता।
खाता गुझिया पूरन-पोली
होली-होली आई होली

ढोल-मज़ीरे थप-थप बजते
रंग-बिरंगे बच्चे लगते
सूरत दिखती कितनी भोली
होली-होली आई होली

मौसम भी बन गया सुहाना
बुनकर मस्ती का ताना-बाना
सहज प्यार से निकली बोली
होली-होली आई होली

आओ मिलकर खेलें होली
फूल-फूल से रंग चुराकर
आओ भर लें अपनी झोली
रंगो का त्योहार है आया

मिलकर खेलें हम सब होली
इस धरती पर रंग हैं जितने
रंग लगाएं बन हमजोली
रंगपर्व की खुशियों में हम

जमकर खेलें हुर्र-हुर्र होली
रंगों में मस्ती की खूबी
सब में भरती मीठी बोली
मीठा-मीठा मन-आंगन कर

खेलें हम मस्ती में होली
रंग भरे चेहरे लगते हैं
जैसे हो दुल्हन की डोली
सजी-सजी थाली गुझियों की
मीठी-मीठी हैप्पी होली

~ जितेश कुमार

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