शिकायत: रामावतार त्यागी

शिकायत: रामावतार त्यागी

आँसुओ तुम भी पराई
आँख में रहने लगे हो
अब तुम्हें मेरे नयन
इतने बुरे लगने लगे हैं।

बेवफाई और मेरे सामने ही
यह कहाँ की दोस्ती है ?
जिंदगी ताने सुनाती है कभी
मुझको जवानी कोसती है।

कंटको तुम भी विरोधी
पाँव में रहने लगे हो
अब तुम्हें मेरे चरण
इतने बुरे लगने लगे हैं।

साथ बचपन से रहे थे हम सदा
साथ ही दोनों पढ़े थे
घाटियों में साथ घूमे और हम
साथ पर्वत पर चढ़े थे।

दर्द तुम भी दूसरों के
काव्य में रहने लगे हो
अब तुम्हें मेरे भजन
इतने बुरे लगने लगे हैं।

रामावतार त्यागी

आपको रामावतार त्यागी जी की यह कविता “शिकायत” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

साप्ताहिक टैरो राशिफल - Weekly Tarot Predictions

साप्ताहिक टैरो राशिफल मई 2024: ज्योतिष विशारद राधावल्लभ मिश्रा

साप्ताहिक टैरो राशिफल: टैरो रीडिंग (Tarot Reading in Hindi) एक प्राचीन भविष्यसूचक प्रणाली है जिसका …