आज मुझसे दूर दुनियाँ - हरिवंश राय बच्चन

आज मुझसे दूर दुनियाँ – हरिवंश राय बच्चन

भावनाओं से विनिर्मित
कल्पनाओं से सुसज्जित
कर चुकी मेरे हृदय का स्वप्न चकनाचूर दुनियाँ
आज मुझसे दूर दुनियाँ

बात पिछली भूल जाओ
दूसरी नगरी बसाओ
प्रेमियों के प्रति रही है, हाय कितनी क्रूर दुनियाँ
आज मुझसे दूर दुनियाँ

वह समझ मुझको न पाती
और मेरा दिल जलाती
है चिता की राख कर में, माँगती सिंदूर दुनियाँ
आज मुझसे दूर दुनियाँ

∼ हरिवंश राय बच्चन

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