ताजमहल – राम प्रसाद शर्मा

Tajmahal Poemअखिल विश्व की आन है ताज,
आगरा की तो शान है ताज।

शाहजहाँ ने इसे बनवाया,
मुमताज प्रेम सर चढ़ाया।

संगमरमर भी लगा सफेद,
समझ न आये इसका भेद।

अमर प्रेम की है निशानी,
सोए इसमें राजा रानी।

देखने इसे पर्यटक आएं,
दाँतों तले ऊँगली दबाएं।

विश्व धरोहर यह कहलाता,
ताजमहल तो सब मन भाता।

∼ राम प्रसाद शर्मा

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